कर्मचारियों ने कमियां बताकर नवीन पेंशन स्कीम यूपीएस को नकारा
फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। शिक्षक व कर्मचारियों ने नवीन पेंशन स्कीम से किनारा करते हुए कहा कि पुरानी पेंशन व्यवस्था ही कर्मचारी व देशहित में है। लगभग 20 वर्षों से लागू पेंशन व्यवस्था एनपीएस आज तक सकारात्मक परिणाम न दे पाने के कारण सरकार द्वारा उसका नाम बदलकर यूपीएस रख दिया गया है और कुछ परिवर्तन भी किये है। जिसका शिक्षकों एवं कर्मचारियों ने विरोध करना शुरु कर दिया है तथा सरकार की यूपीएस स्कीम को एनपीएस से भी ज्यादा हानिकारक बताया है।
अटेवा के प्रदेश संयुक्त मंत्री ज्ञानप्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि सरकार की नवीन पेंशन स्कीम यूपीएस की सबसे बड़ी कमी वह कर्मचारियों के भविष्य निधि को खत्म कर रही है। एनपीएस में कर्मचारियों के वेतन से 10 प्रतिशत धनराशि प्रतिमाह काटी जा रही है, जो छोटे कर्मचारियों की सम्पूर्ण सेवाकाल में हुई कटौती 30 से 35 लाख रुपये तथा शिक्षकों एवं अधिकारियों का करोड़ों रुपये होगा। जिस निधि का उपयोग कर्मचारियों के भविष्य में बच्चों की शिक्षा, विवाह, चिकित्सा या भवन निर्माण आदि में करता है, अब नवीन पेंशन स्कीम यूपीएस में कर्मचारियों की सम्पूर्ण सेवाकाल में हुई वेतन कटौती की वह सम्पूर्ण राशि सरकार द्वारा हड़प कर ली जायेगी। उसके स्थान पर अंतिम छह माह के वेतन के बराबर की धनराशि सेवानिवृत्त पर दी जायेगी। जो सम्पूर्ण धनराशि के 10 प्रतिशत के बराबर भी नहीं होगी। अटेवा के जिलाध्यक्ष नरेन्द्र सिंह जाटव ने बताया कि नवीन पेंशन स्कीम की दूसरी कमी कर्मचारियों को सेवानिवृत्त पर अंतिम मूल वेतन का 50 प्रतिशत भी पेंशन के रुप में नहीं दिया जा रहा है। सिर्फ अंतिम 12 महीनों के औसत मूल वेतन का 50 प्रतिशत दिया जा रहा है। जो हमेशा अंतिम माह के मूल वेतन के 50 प्रतिशत से कम ही होगा। अटेवा के जिला महामंत्री फूल सिंह शाक्य ने बताया कि यूपीएस की तीसरी कमी कर्मचारियों के मूल वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन पाने के लिए क्वालीफाइंग सेवा काल 25 वर्ष रखा गया है। अर्थात जिन कर्मचारियों की सेवा 25 वर्ष होगी उसे ही अंतिम वेतन का लगभग 50 प्रतिशत पेंशन दी जायेगी। जब सरकारी सेवा में आने की अंतिम आयु सीमा 40 वर्ष तथा आरक्षित वर्ग के 45 वर्ष तक है तो सभी कर्मचारी इस शर्त को भी कभी पूरा नहीं कर पायेंगे। देश के अद्र्धसैनिक बल जिनका सेवाकाल 15 से 20 वर्ष होगा, उन्हें मूल वेतन की 50 प्रतिशत पेंशन नहीं मिलेगी। सभी न्यूनतम 10 हजार रुपये वाली ही पेंशन पायेंगे और उनकी सैलेरी की कटौती का भी पैसा हड़प कर लिया जायेगा। यूपीएस सरकार पर भी अतिरिक्त बोझ डाल रही है। क्योंकि यूपीएस में सरकार ने अपना अंशदान 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 18.5 प्रतिशत कर दिया है। जिससे सरकार पर प्रतिमाह 4.5 प्रतिशत लगभग ३ हजार करोड़ का अतिरिक्त भार पड़ेगा। जो कम्पनियों को लाभ पहुंचायेगी, कर्मचारियों को नहीं। अटेवा के सदस्य हिमांशु शुक्ला ने बताया कि अटेवा यूपीएस पेंशन स्कीम का विरोध करता है तथा सरकार से मांग करता है कि पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल की जाये। प्रत्येक शिक्षक, कर्मचारी एनपीएस तथा यूपीएस दोनों का विरोध करता है तथा पुरानी पेंशन बहाल की मांग करता है कि जब तक पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल नहीं हो जाती तब तक अटेवा अपना संघर्ष जारी रखेगा।