फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। सरकार द्वारा यूपीएस का विकल्प देने पर शिक्षकों ने एतराज करते हुए अपनी राय रखी कि एनपीएस से यूपीएस का विकल्प सरकार दे सकती है तो ओपीएस का विकल्प सरकार क्यों नहीं दे रही है।
क्रिश्चियन इंटर कालेज के शिक्षक व शिक्षक संघ के जिला उपाध्यक्ष संतोष कुमार दुबे ने बताया कि यदि सरकार एनपीएस से यूपीएस का विकल्प दे सकती है तो फिर ओपीएएस का विकल्प देने में सरकार को क्या दिक्कत है। यदि यूपीएस में बेसिक का 50 प्रतिशत दे सकते है, तो ओपीएस में भी 50 प्रतिशत ही तो देना होता है। नाम बदलने से काम नहीं बदलता है। यह जितनी भी योजनाएं लाई जा रही सभी स्कीम है, तभी तो रोज बदलना पड़ रहा है। अभी तक एनपीएस की तारीफ की जा रही थी, अब यूपीएस की। जबकि सच यह कि ओपीएस ही सामाजिक सुरक्षा का कवच है, जो बुढ़ापे की लाठी है और देश का लाखों कर्मचारी ओपीएस की ही मांग कर रहा है।
मोहन लाल शुक्ला आदर्श विद्यालय इंटर कालेज के शिक्षक व शिक्षक संघ के संयुक्त मंत्री सतेन्द्र सिंह ने सरकार से मांग की है कि पुरानी पेंशन बहाल की जाये। जो कि शिक्षक व कर्मचारियों के हित में है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की नवीन योजना यूनाइटेड पेंशन स्कीम (यूपीएस) जो की 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी, लेकिन इसमें 31 मार्च 2025 को रिटायर्ड होने पर वाले कर्मचारियों को इसका लाभ नहीं मिलेगा। इस नवीन योजना की सबसे बड़ी कमी इसमें जीएफ जैसा कोई भी लाभ नहीं मिलेगा तथा पुरानी पेंशन की भांति इसमें हर वर्ष दो बार डीए की बढ़ोतरी भी नहीं होगी, एवं इस नवीन योजना में 25 वर्ष की निश्चित न्यूनतम सेवानिवृत्ति से पहले मूल वेतन के 12 महीने के औसत वेतन का 50 प्रतिशत ही केवल देय होगा। 25 वर्ष न्यूनतम सेवा की बाध्यता इस योजना में नहीं होनी चाहिए थी, जबकि पुरानी पेंशन में 20 वर्ष की न्यूनतम सेवा पर 50 प्रतिशत पेंशन धनराशि हर महीने पेंशन के रूप में वापस होती थी। केंद्र सरकार को सरकारी कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए पुरानी पेंशन बहाली की ही घोषणा करनी चाहिए।