फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। गोली मारकर घायल करने के मामले में अभियुक्त को न्यायालय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कक्ष संख्या-०9 ने तीन वर्ष का साधारण कारावास व दो हजार रुपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया है।
वादी मुकदमा जगदीश द्वारा दिनांक 19.10.2000 को समय करीब ०5:30 बजे को अपने घर से खेतों की तरफ शौच करने जा रहा था। गांव के ही रामवीर पुत्र रामकुमार, रामकुमार पुत्र छदामी लाल निवासी उम्मरपुर व सेवाराम उर्फ शिब्बू पुत्र कोमिल ठाकुर निवासी त्योरी इस्माइलपुर थाना नवाबगंज रास्ते में बालकराम धोबी के घर के पास थे। सेवाराम पर रामवीर के भाई श्यामवीर की लाइसेंसी बन्दूक थी। मुझे देखकर रामवीर कहने लगा कि साले जगदीश तू बहुत खिलाफत करता है। आज तुझे देखता हूँ और गाली देने लगा। जब मैंने गाली-गलौज करने का विरोध किया, तो इतने में ही रामवीर व रामकुमार ने सेवाराम से कहा कि देखते क्या हो मारो साले के गोली। इतने में ही सेवाराम ने जान से मारने की नियत से मेरे ुऊपर बन्दूक से फायर किये। जिससे मैं घायल होकर जमीन पर गिर पड़ा। जब मैं चिल्लाया तो मौके पर महेन्द्र पुत्र जयराम जाटव उम्मरपुर, जोगराम पुत्र इतवारी लाल धोबी आ गये। ये लोग जानमाल की धमकी देते हुए गांव से उत्तर की ओर भाग गये। पीडि़त ने घटना के संबंध में थाने पर तहरीर दी, लेकिन मुकदमा दर्ज नहीं किया गया। तब उसने न्यायालय की शरण ली। न्यायालय के आदेश पर मु0अ0सं0 166/2000 धारा-307/34, 504, 506 भा0द0सं0 के तहत पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। विवेचक द्वारा उपरोक्त धाराओं में न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया गया। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी तथा बचाव पक्ष के अधिवक्ता के तर्कों को सुनने एवं पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर तत्कालीन पीठासीन अधिकारी मेराज अहमद द्वारा उपरोक्त मुकदमे के तहत अभियुक्तगण रामवीर, रामकुमार तथा सेवाराम उर्फ शिब्बू के विरुद्ध दिनांक 15.12.2003 को आरोप विरचित किये गये। मुकदमा विचारण के दौरान रामकुमार व सेवाराम की मृत्यु हो गयी। रामवीर को अंतर्गत धारा-324 भा0द0सं0 थाना नवाबगंज के आरोप में दोष सिद्ध को तीन वर्ष का साधारण कारावास व दो हजार रुपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया जाता है। अर्थदण्ड अदा न करने पर एक माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। धारा-504 भा0द0सं0 में छह माह का साधारण कारावास एवं 500 रुपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया। वहीं धारा 506 भा0द0सं0 में एक वर्ष का साधारण कारावास व एक हजार रुपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया।