झांसी मेडिकल कॉलेज में लगी भीषण आग, 10 बच्चों की मौत

  • एंट्री गेट पर धधक रही थी आग, सेफ्टी अलार्म भी नहीं बजा
  • सीएम ने मृतक बच्चों के परिजनों को 05-05 लाख रुपये, घायल बच्चों के परिजनों को 50-50 हजार रुपये मुआवजा देने की घोषणा 

झांसीः  झांसी में महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार रात भीषण आग लग गई. हादसे में 10 नवजात बच्चों की मौत हो गई, वहीं 16 बच्चे झुलस गए, जो इमरजेंसी वार्ड में भर्ती हैं. मेडिकल कॉलेज के शिशु वार्ड (एसएनसीयू) में पहले धुआं उठा, किसी को कुछ समझ नहीं आया और देखते ही देखते शिशु वार्ड में आग की लपटें उठने लगीं. वहीं, इस हादसे ने अस्पताल की व्यवस्था की भी कलई खोल दी. दमकल कर्मी अब भी अस्पताल में आग बुझाने में जुटे .बच्चों की मौत की खबर से परिजनों में कोहराम मच गया. चाइल्ड वार्ड में आग लगने के बावजूद सेफ्टी अलार्म नहीं बजा. अगर समय से सेफ्टी अलार्म बज जाता तो इतनी बड़ी घटना नहीं होती. परिजन का कहना था कि यह अस्पताल प्रशासन की लापरवाही है. समय-समय पर सेफ्टी अलार्म समेत अस्पताल की अन्य व्यवस्थाओं की जांच होती रहनी चाहिए थी, ताकि आपात स्थिति में बचाव किया जा सके. शिशु वार्ड से बाहर निकलने का एक ही गेट था, लेकिन हादसे के वक्त गेट पर आग की लपटें उठ रही थीं. ऐसे में जो लोग बाहर थे, वो भी बच्चों को बचाने के लिए अंदर नहीं जा सके. जिला अधिकारी अविनाश कुमार ने बताया कि महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज की नवजात गहन देखभाल इकाई (एनआईसीयू) में शुक्रवार रात करीब 10.45 बजे आग लग गई, संभवतः बिजली के शॉर्ट सर्किट के कारण। डीएम ने बताया कि जो बच्चे एनआईसीयू के बाहरी हिस्से में थे, उन्हें बचा लिया गया। प्रथम दृष्टया 10 बच्चों की मौत की सूचना है। कम गंभीर मरीजों को एनआईसीयू के बाहरी हिस्से में भर्ती किया जाता है जबकि अधिक गंभीर मरीजों को आंतरिक हिस्से में रखा जाता है।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) झांसी सुधा सिंह ने कहा कि इस घटना में घायल हुए अन्य 16 बच्चों का इलाज चल रहा है। घटना के वक्त एनआईसीयू में 50 से ज्यादा बच्चे भर्ती थे। झांसी पुलिस ने सोशल मीडिया पर एक संक्षिप्त बयान में कहा कि एक फायर ब्रिगेड को घटनास्थल पर भेजा गया जबकि जिले के वरिष्ठ अधिकारी भी मेडिकल कॉलेज पहुंचे। निकटवर्ती महोबा जिले के रहने वाले एक दंपती को अपने नवजात बच्चे की मृत्यु से सदमा लगा है। मां ने बताया कि बच्चे का जन्म 13 नवंबर को सुबह 8 बजे हुआ था। गमगीन मां ने कहा मेरा बच्चा आग में जान गंवा चुका है। मेडिकल कॉलेज के कथित दृश्यों में घबराए हुए मरीजों और उनके तीमारदारों को बाहर निकलते हुए दिखाया गया है जबकि कई पुलिसकर्मियों ने बचाव और राहत उपायों में सहायता की।

लखनऊ से जारी एक बयान के अनुसार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना का संज्ञान लिया और जिला प्रशासन के अधिकारियों को घायलों का उचित इलाज सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के पास स्वास्थ्य विभाग भी है। पाठक ने कहा कि वह झांसी जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि घटना बेहद दुखद और हृदयविदारक है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि राज्य के प्रमुख स्वास्थ्य सचिव आदित्यनाथ के निर्देश पर पाठक के साथ थे।

सीएम योगी ने संभागीय आयुक्त बिमल कुमार दुबे और उप महानिरीक्षक (झांसी पुलिस रेंज) कलानिधि नैथानी को 12 घंटे के भीतर मामले पर एक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। झांसी से लोकसभा सांसद अनुराग शर्मा ने कहा कि ‘मैं इस घटना से बेहद दुखी हूं। उन्होंने कहा कि वह इस समय स्टेशन से बाहर हैं। घटना के कुछ देर बाद सदर विधायक रवि शर्मा भी अस्पताल पहुंचे और हालात का जायजा लिया। शनिवार तड़के एसएसपी सुधा सिंह ने बताया कि 16 घायल बच्चों का इलाज किया जा रहा है और उनकी जान बचाने के प्रयास जारी हैं। उनके लिए पर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं के साथ-साथ सभी डॉक्टर उपलब्ध हैं।

आग लगने के आधे घंटे बाद शुरू हुआ बचाव कार्य

जानकारी के मुताबिक, आग लगने के करीब आधे घंटे बाद बचाव कार्य शुरू हुआ. डीएम अविनाश कुमार ने बताया कि वार्ड के अंदर फंसे बच्चों को नहीं बचाया जा सका, बाहर की तरफ जो बच्चे थे, वो बचा लिए गए हैं. झांसी महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज में बच्चों के लिए शिशु वार्ड (एसएनसीयू) अलग बना हुआ है, जिसमें सिर्फ 52 बच्चे ही भर्ती हो सकते हैं. आग लगने के दौरान भगदड़ में बहुत से बच्चे बदल गए, जिसकी लड़की थी उसको लड़का मिल गया और जिस मां-बाप का लड़का था, उसके हाथ लड़की लगी.

एसएनसीयू वार्ड में लगी आग

अचानक से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के अंदर आग लग गई. कंसंट्रेटर में लगी आग को बुझाने की कोशिश की गई, लेकिन एसएनसीयू वार्ड में अत्यधिक ऑक्सीजन था. इसलिए आग तेजी से फैल गई और देखते ही देखते ही यह पूरे हादसा हो गया. बताया जा रहा है कि अस्पताल में आग लगने के बाद भी सेफ्टी अलार्म भी नहीं बजा था. इसी वजह से आग ने विकराल रूप ले लिया था. सेफ्टी अलार्म बजा होता, तो शायद एसएनसीयू वार्ड में इतना बड़ा हादसा नहीं होता.

सीएम योगी ने हादसे पर लिया संज्ञान

आग लगने का कारण ऑक्सीजन सिलेंडर में ब्लास्ट बताया जा रहा है. सीएम योगी ने हादसे पर संज्ञान लिया है. राहत बचाव कार्य के आदेश दिए हैं. मौके पर डीएम समेत तमाम अधिकारी मौके पर मौजूद हैं. घटना रात करीब साढ़े 10 बजे की है. डीएम ने बताया कि जितने बच्चे घायल हैं, उनकी मॉनिटरिंग की जा रही है. साथ ही कहा कि एक जांच टीम बना दी गई है, जो इसकी रिपोर्ट देगी. मेडिकल कॉलेज में आग लगने के बाद से परिजन रोते-बिलखते नजर आ रहे हैं. कानपुर से बड़ी डॉक्टरों की बड़ी टीम को झांसी के लिए रवाना किया गया है. सीएम के निर्देश पर उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक एवं प्रमुख सचिव स्वास्थ्य भी झांसी पहुंच गए हैं.  मुख्यमंत्री के निर्देश पर घटना में असमय काल कवलित नवजात बच्चों के माता-पिता को 05-05 लाख रुपये तथा घायलों के परिजनों को 50-50 हजार रुपये की सहायता  मुख्यमंत्री राहत कोष से उपलब्ध कराई जा रही है। मुख्यमंत्री ने झांसी के मंडलायुक्त और डीआईजी को 12 घंटे में घटना के संबंध में रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं।

अखिलेश यादव ने लगाया लापरवाही का आरोप

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, आग का कारण ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर में आग लगना बताया जा रहा है. ये सीधे-सीधे चिकित्सीय प्रबंधन और प्रशासन की लापरवाही का या फिर खराब क्वालिटी के ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का मामला है. इस मामले में सभी जिम्मेदार लोगों पर दंडात्मक कार्रवाई हो. मुख्यमंत्री जी को (सीएम योगी) चुनावी प्रचार छोड़कर, सब ठीक होने के झूठे दावे छोड़कर, स्वास्थ्य और चिकित्सा की बदहाली पर ध्यान देना चाहिए. जिन्होंनें अपने बच्चे गंवाएं हैं, वो परिवार वाले ही इसका दुख-दर्द समझ सकते हैं.

‘स्वास्थ्य मंत्री के कारण हुई बदहाली’

अखिलेश यादव कहते है कि आशा है चुनावी राजनीति करने वाले पारिवारिक विपदा की इस घड़ी में इसकी सच्ची जांच करवाएंगे और अपने तथाकथित स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्रालय में ऊपर-से-नीचे तक आमूलचूल परिवर्तन करेंगे. रही बात उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्री की तो उनसे कुछ नहीं कहना है क्योंकि उन्हीं के कारण आज प्रदेश में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा व्यवस्था की इतनी बदहाली हुई है. संकीर्ण-साम्प्रदायिक राजनीति की निम्न स्तरीय टिप्पणियां करने में उलझे मंत्री जी को, तो शायद ये भी याद नहीं होगा कि वो स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्री हैं. न तो उनके पास कोई शक्ति है न ही इच्छा शक्ति, बस उनके नाम की तख्ती है. सबसे पहले उप्र भाजपा सरकार समस्त झुलसे बच्चों के लिए विश्वस्तरीय चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कराए और जिन्होंने अपने बच्चों को खोया है, उन समस्त शोक संतप्त परिवारों को 1-1 करोड़ संवेदना राशि दे.

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