- नीदरलैंड, ब्रिटेन, फ्रांस, नार्वे, स्वीडन जैसे देश प्रमुख खरीदार
- भारत पेट्रोलियम उत्पाद का एक निर्यातक बन गया है
भारत सऊदी अरब को पीछे छोड़ते हुए यूरोप का सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है। भारतीय रिफाइनरियों से यूरोपीय देशों को रिफाइंड कच्चे तेल के निर्यात में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। भारत ने यूरोप को प्रतिदिन 3.60 लाख बैरल रिफाइंड क्रूड का निर्यात किया है। अनुमान है कि अगले साल अप्रैल तक यह आंकड़ा बढ़कर 20 लाख बैरल के पार हो सकता है। रूस-यूक्रेन युद्ध के समय यूरोप को भारत प्रतिदिन 1.54 लाख बैरल ईंधन का निर्यात करता था। युद्ध शुरू होने पर यह बढ़कर दो लाख बैरल हो गया। रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रिफाइनरियों ने उच्च गुणवत्ता वाले पेट्रोल-डीजल व अन्य रिफाइंड उत्पादों की आपूर्ति में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी की है। इससे उन्हें सऊदी अरब को पीछे छोड़ने का मौका मिला। भारत की यह स्थिति आने वाले समय में और मजबूत हो सकती है। भारत वित्त वर्ष 2023 में मॉस्को के लिए एक प्रमुख बाजार के रूप में उभरा, क्योंकि पश्चिमी प्रतिबंधों और यूरोप में शिपमेंट पर प्रतिबंध के मद्देनजर रूस ने कच्चे तेल पर भारी छूट दी। पश्चिमी आलोचना के बावजूद, भारत ने अपनी ऊर्जा मांग को रूसी तेल के माध्यम से पूरा करना जारी रखा है। यदि ऐसा नहीं किया गया होता, तो बढ़ती तेल कीमतों के कारण आयातित मुद्रास्फीति के परिणामस्वरूप भारत को गंभीर आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ता।
नीदरलैंड, ब्रिटेन, फ्रांस, नार्वे जैसे देश खरीदारी कर रहे
- पांच साल पहले यह हिस्सेदारी 12 प्रतिशत के पास थी। चालू वित्त वर्ष 2024-25 के अप्रैल-सितंबर में भारत का वस्तु निर्यात 213 अरब डॉलर का रहा और इनमें 36.5 अरब डॉलर का निर्यात पेट्रोलियम पदार्थों का रहा। पिछले तीन सालों में नीदरलैंड, ब्रिटेन, फ्रांस, नार्वे जैसे देश प्रमुख रूप से पेट्रोलियम उत्पादों की खरीदारी कर रहे हैं। पेट्रोलियम पदार्थों की वजह से ही यूरोप के कई देशों में भारत के निर्यात में बढ़ोतरी दिख रही है। यूरोप के देशों के साथ भारत सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, यूएई, आस्ट्रेलिया जैसे देशों को भी पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात कर रहा है।
नीदरलैंड भारत के पहले पांच निर्यात बाजार में शामिल
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक भारत से नीदरलैंड होने वाले निर्यात में 65 प्रतिशत हिस्सेदारी पेट्रोलियम उत्पादों की है। नीदरलैंड भारत के पहले पांच निर्यात बाजार में शामिल हो गया है। वैसे ही ब्रिटेन होने वाले कुल निर्यात में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी पेट्रोलियम उत्पादों की है। चालू वित्त वर्ष 2024-25 के अप्रैल-जुलाई में ऑटोमोटिव डीजल फ्यूल का फ्रांस होने वाले निर्यात में 883 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। ऑटोमोटिव डीजल फ्यूल के साथ हवाई जहाज व मोटर वाहन में इस्तेमाल होने वाले ईंधन, हाई स्पीड डीजल, केरोसिन प्रमुख रूप से शामिल हैं।वित्त वर्ष 2018-19 में भारत ने यूरोप में 5.9 अरब डॉलर के पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात किया था जो पिछले वित्त वर्ष 20 अरब डॉलर को पार कर गया। विभिन्न वैश्विक एजेंसियों के मुताबिक यूरोप में होने वाले कुल पेट्रोलियम आयात में भारत की हिस्सेदारी 12 प्रतिशत है। अमेरिका और सऊदी अरब की हिस्सेदारी क्रमश: 21 और 17 प्रतिशत है।