नितेश कुमार ने पेरिस पैरालंपिक में जीता गोल्ड

पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत को अपना दूसरा गोल्ड मेडल मिल गया है. ये मेडल पैरा-बैडमिंटन खिलाड़ी नितेश कुमार ने मेंस सिंग्लस बैडमिंटन एसएल3 में जीता. इसी के साथ इस पैरालंपिक में अब भारत के कुल 9 मेडल हो गए हैं. पैरा-बैडमिंटन मेंस सिंग्लस एसएल3 इवेंट के फाइनल में नितेश कुमार का सामना ग्रेट ब्रिटेन के डेनियल बेथेल से हुआ. दोनों खिलाड़ियों के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली और अंत में नितेश कुमार बाजी मारने में कामयाब रहे.

नितेश कुमार और ग्रेट ब्रिटेन के डेनियल बेथेल के बीच गोल्ड मेडल मैच में कड़ा मुकाबला देखने को मिला. मुकाबले का पहला सेट नितेश कुमार के नाम रहा. उन्होंने 21-14 से ये सेट अपने नाम किया. वहीं, दूसके सेट में दमदार प्रदर्शन करने के बाद भी उन्हें 18-21 से हार का सामना करना पड़ा. एक समय ये सेट 16-16 की बराबरी पर था, लेकिन यहां ये नितेश कुमार पिछड़ गए. इसके बाद तीसरे सेट में उन्होंने दमदार वापसी की और 23-21 से सेट जीतकर मुकाबला अपने नाम किया. लेकिन इस सेट को जीतने के लिए उन्हें काफी मेहनत करनी पड़ी. दोनों खिलाड़ी एक-एक प्वॉइंट के लिए आखिरी तक लड़ते हुए नजए आए. कुछ मौकों पर ग्रेट ब्रिटेन के डेनियल बेथेल आगे भी निकले, हालांकि नितेश ने धैर्य बनाए रखा और गोल्ड मेडल अपने नाम किया. ये पैरालंपिक में नितेश का पहला मेडल भी है.

ट्रेन दुर्घटना में गंवाया था पैर

भले ही नितेश कुमार अब पैरालंपिक में सफलता हासिल करके शिखर पर खड़े हों लेकिन एक समय ऐसा भी था जब वह महीनों तक बिस्तर पर पड़े रहे थे और उनका हौसला टूटा हुआ था। नितेश जब 15 साल के थे तब उनकी जिंदगी में दुखद मोड़ आया और 2009 में विशाखापत्तनम में एक ट्रेन दुर्घटना में उन्होंने अपना पैर खो दिया। बिस्तर पर पड़े रहने के कारण वह काफी निराशा हो चुके थे। उन्होंने याद करते हुए कहा कि मेरा बचपन थोड़ा अलग रहा है। मैं फुटबॉल खेलता था और फिर यह दुर्घटना हो गई। मुझे हमेशा के लिए खेल छोड़ना पड़ा और पढ़ाई में लग गया। लेकिन खेल फिर मेरी जिंदगी में वापस आ गए। नितेश को आईआईटी-मंडी में पढ़ाई के दौरान उन्हें बैडमिंटन की जानकारी मिली और फिर यह खेल उनकी ताकत का स्रोत बन गया। उन्होन कहा कि प्रमोद भैया (प्रमोद भगत) मेरे प्रेरणास्रोत रहे हैं। इसलिए नहीं कि वे कितने कुशल और अनुभवी हैं बल्कि इसलिए भी कि वे एक इंसान के तौर पर कितने विनम्र हैं। विराट कोहली ने जिस तरह से खुद को एक फिट एथलीट में बदला है, मैं इसलिए उनकी तारीफ करता हूं। अब वह इतने फिट और अनुशासित हैं।

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