पहाड़पुर में बूढ़ी गंगा के भरे पानी में कार्य कर रहे मनरेगा मजदूर
ग्राम पंचायत ख्वाजा अहमद कटिया में चकरोड का नहीं अता पता
दोनों ग्राम पंचायतों के रोजगार सेवक व प्रधान लूट रहे सरकारी धन
शमशाबाद, समृद्धि न्यूज। शमशाबाद विकास खंड में मनरेगा योजना में भ्रष्टाचार इस कदर व्याप्त है कि घोटालेबाज प्रधानों से पार पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है। यही कारण है कि ग्रामीण क्षेत्रों में विकास तो नहीं हो रहा है, लेकिन विकास के नाम पर प्रधान व उच्च अधिकारी अपनी-अपनी जेबें जरूर भर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है।
ऐसी ही ग्राम पंचायत है पहाड़पुर बैरागढ़ जहां अमर सिंह के खेत से राजपाल के खेत तक चकरोड पर मिट्टी का कार्य होना दर्शाया जा रहा है। जिसमें तीन मस्टरल रोल दर्शाकर 29 मनरेगा मजदूरों की हाजिरी मनरेगा पोर्टल पर अपलोड की जा रही है। सबसे मज़ेदार बात तो यह है कि जहां कार्य होना दर्शाया जा रहा है वहां कुछ समय पूर्व आई गंगा की बाढ़ का पानी भरा हुआ है। जो अपने आप में कई सवाल खड़े कर रहा है। अगर वहां पर बाढ़ का पानी भरा हुआ है तो फिर मनरेगा के मजदूर कागजों में ही चकरोड डाल रहे हैं। यदि पानी में चकरोड पड़ रहा है तो इसकी जांच एपीओ कुलदीप यादव द्वारा क्यों नहीं की गई। इसकी भी अपनी एक वजह है। एपीओ कुलदीप यादव और प्रधान सजातीय हैं। एपीओ कुलदीप यादव का कहना है कि अगर उनके सजातीय कोई प्रधान है तो उसको लूट की खुली छूट है। यह कार्य पिछले कई दिनों से कागजों में ही दौड़ा कर सरकारी खजाने को लूटने का कार्य ग्राम प्रधान द्वारा किया जा रहा है।
ऐसा ही नजारा शमसाबाद विकास खंड की एक और ग्राम पंचायत ख्वाजा अहमद कटिया में देखने को मिला है जहां हंसराम के खेत से पहाड़पुर सीमा तक चकरोड पर मिट्टी का कार्य होना दर्शाया जा रहा है। इस कार्य में 6 मस्टर रोल दर्शाकर 48 मनरेगा मजदूरों की हाजिरी मनरेगा पोर्टल पर अपलोड की जा रही है। यहां भी सबसे मजेदार बात यह है कि यहां पर कोई चकरोड धरातल पर नजर ही नहीं आ रहा है। यह कार्य भी सिर्फ कागजों तक ही सीमित नजर आ रहा है। इस संबंध में जब गांव के ग्रामीणों से वार्ता की गई तो उन्होंने बताया कि उन्होंने आज तक किसी भी मजदूर को इस जगह काम करते हुए नहीं देखा है। उन्होंने बताया कि प्रधान के द्वारा दो चार लोगों को खड़ा कर फोटो खींच लिया जाता है और फोटो खींचने के बाद वापस कर दिया जाता है। जब हकीकत में मौके पर जाकर देखा गया तो वहां कहीं पर भी एक भी फावड़ा मिट्टी नजर नहीं आ रही है।