फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। तीसरे दिन मानस विद्वानों ने कहा कि भले ही राम ने रावण को मार दिया पर आज भी बुरे लोगों में रावणत्व जीवित है, क्योंकि काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह जब तक हममें है तब तक रावणत्व हम में मर ही नहीं सकता है। मानस विचार समिति के तत्वाधान में डा0 रामबाबू पाठक के संयोजन में पंडा बाग के सत्संग भवन में चल रहे मानस सम्मेलन के तीसरे दिन झांसी से पधारे मानस मनोहर अरुण गोस्वामी ईश भजन सारथी सुजाना प्रसंग की व्याख्या करते हुए कहा कि जहां धर्म है वहां विजय होती है। ऐसा गोस्वामी तुलसीदास कहते हैं, कबीरदास भी इसी प्रकार धर्म की परिभाषा बताते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम ने रावण को मार दिया था पर आज भी रावणत्व नहीं मरा, लोगों में रावणत्व आज भी जीवित है। लोगो में काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह जब तक लोगों में जीवित है। तब तक लोगों में रावणत्व लोगों में मौजूद है। गोस्वामी ने कहा कि युद्ध के समय मैदान में रावण के पास भौतिकतावादी रथ था, जबकि श्रीराम के पास आध्यात्मिक रथ था। रावण के भौतिकतावादी रथ को हनुमान, लक्ष्मण और अंत में श्रीराम ने विध्वंस कर दिया। मानस विद्वान पीला राम शर्मा, किरण भारती, नंदकिशोर पाठक आदि प्रवचन किया। तबले पर संगत नंदकिशोर पाठक ने की। संचालन पंडित रामेंद्र मिश्रा ने किया। इस मौके पर मुन्ना लाल मिश्रा, अश्वनि मिश्रा, सदानंद शुक्ला, अशोक रस्तोगी, सुरजीत पाठक उर्फ बंटू, ज्योति स्वरूप अग्निोत्री, ब्रजकिशोर सिंह किशोर, नरेश दुबे, विशेष पाठक, विजय लक्ष्मी पाठक, संध्या पाठक, अलम्या पाठक, मांडवी पाठक, शशि रस्तोगी, रजनी लौगानी आदि मानस श्रोता मौजूद रहे।