फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। रोजा रुहानी और जिस्मानी ताकत को बढ़ाने का अमल है। बंदा अल्लाह की रजा के लिए सुबह सादिक से लेकर गुरुवे आफताब तक के लिए खाने पीने से रुक जाता है और जिस्म के तमाम हिस्सों की बुराइयों से रोके रखता है। मुसलमानों के लिए रमजान बरकत का महीना है।
शाह मोहम्मद वसीम खान का कहना है कि अल्लाह अपनी रहमत से हमारे गुनाह माफ करेगा। रमजानुल मुबारक के मुकद्दस महीने में हमें ज्यादा से ज्यादा नेकी और इबादत करनी चाहिये, क्योंकि इस माह में अल्लाह रब्बुल इज्जत हर नेक काम का सबाव ७० गुना देता है। गरीबों में फितरा, जकात, सदका, खैरात वगैरह उसके मुस्तहिक लोगों में ज्यादा से ज्यादा तकसीम करें। जिससे आने वाली ईद की खुशियों में गरीबों के बच्चे भी दूसरों के साथ बराबर से शरीक हो सकें। गरीब भी ईद की खुशियां मना सकें। अल्लाह इस महीने में हमें बेहतर जिंदगी गुजारने के लिए और हमारी इस्लाह के लिए हमारे प्यारी नवी पर कुरान नाजिल फरमाया। फरियाब खान ने बताया मुसलमानों के लिए रजमान वह बाबरकत महीना है जिसमें अल्लाह अपनी रहमतों की बारिस करता है। जिसमें मोमिनों के तमाम गुनाह धुल जाते हैं। यह वह अजीम महीना है जिसमें अल्लाह ने तौरेव जुबूर, इंजील और कराने करीम नाजिल फरमाया। इसी माह में अल्लाह ने एक रात शबे-कद्र की भी रखी है। जिसकी इबादत हजार रातों से अफजल है।
आकिब खान का कहना है कि सब एक साथ मिलकर इख्त्यार में शरीक होते हैं। अल्लाह से दुआ की है कि सब एक हों सब नेक हों और अमन, चैन सुकून कायम रहे। सभी के बीच बच्चों और इखलाक कायम बना रहे। जहां की नफरतों की दुश्मनी खत्म हो लोगों के दिलों में दुश्मनी की कोई जगह न हो। रमजान, रोजा, इफ्तार, सहरी, जकात, फितरा, तरावीह समेत यह सभी चीजें रमजान में मुबारकवाद का आगाह करती हैं। नमाज अदा करना मुसलमानों पर सबसे बड़ा फर्ज है। मस्जिदों में नमाज अदा करने और अल्लाह की इबादत करने में बंदे पीछे नहीं हैं।
मुसलमानों के लिए रमजान बरकतों का महीना
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