फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। दूसरे दिन मानस विद्वानों ने कहा जब संतो का संरक्षण मिलता है तब सुरक्षा की गारंटी होती है और मानव आंख बंद करके संतो के साथ हो लेता है। मानस विचार समिति के बैनर तले डा0 रामबाबू पाठक के संयोजन में पांडाबाग के सत्संग भवन में चल रहे दूसरे दिन मानस सम्मेलन में पीलाराम शर्मा दुर्ग छत्तीसगढ़ ने बंदऊ कोशल्या प्रसंग की व्याख्या करते हुए कहा कि ऋषि विश्वामित्र ने राक्षसों के उत्पात से रक्षा के लिए राजा दशरथ के पास पहुंचे और श्रीराम व लक्ष्मण को मांगा। थोड़ा ना नुकुर के बाद राजा दशरथ, कौशल्या माता ने छोटे बालको श्रीराम-लक्ष्मण को वन जाने दिया, क्योंकि ऋषि विश्वामित्र ने दोनों बालकों की सुरक्षा का भरोसा दिलाया। इस प्रकार संतो का संरक्षण कौशल्या माता को मिला, इसलिए उन्होंने दोनों बालकों को जाने से नहीं रोका। संयोजक डा0 रामबाबू पाठक ने वंदे वाणी प्रसंग पर कहा कि वाणी अर्थात् देवी सरस्वती अयोध्या में दासी मंथरा के पास गई। देवी सरस्वती पूरे अयोध्या राजभवन में घूमी पर किसी की बुद्धि नहीं फेर पाई, पर दासी मंथरा मिल गई, देवी सरस्वती दादी मंथरा की बुद्धि को फेरने में सफल हो गई। श्रीराम लक्ष्मण को अयोध्या से वन भेजकर राक्षसों का उद्धार किया। तबला पर संगत नंदकिशोर पाठक ने की। संचालन पंडित रामेंद्र मिश्रा ने किया। रामवरन दीक्षित, प्रमोद पांडेय, अशोक कुमार रस्तोगी, आलोक गौड़, ज्योति स्वरूप अग्निोत्री, सुरजीत पाठक उर्फ बंटू, ब्रजकिशोर सिंह किशोर, भारत सिंह, समाजसेवी संजय गर्ग, नरेश दुबे, ब्रजेंद्र श्रीमाली, विशेष पाठक सहित श्रोता मौजूद रहे।