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बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना मेरा उद्देश्य: कविता

फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। देश के पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन का सपना था, कि देश का हर व्यक्ति शिक्षित हो। उन्होंने शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए लोगों को प्रेरित किया और अपने जन्मदिन को शिक्षकोंं के लिए समर्पित करते हुए शिक्षक दिवस रखा, तब से अब तक हर 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। समृद्धि न्यूज के विशेष विशलेषण समाचार के अंक में शिक्षा की प्रहरी बनी प्राथमिक विद्यालय सराह की प्रधानाध्यापिका कविता अग्निहोत्री ने बताया कि मेेरे परिवार में सभी लोग शिक्षक है।बचपन से ही पिता नवलकांत अग्निहोत्री एवं मां की प्रेरणा से मैं आगे बढ़ी। छात्रा जीवन में मेधावी रही। पिता के अलावा चाचा एवं ताऊ भी शिक्षक है। पति अमित मिश्रा भी शिक्षक है। पढ़ाने के अलावा ज्यादातर समय बच्चों के साथ व्यतीत करती हूं। उन्हें भी पढ़ाकर आगे शिक्षक बनाने का उद्देश्य है। हाईस्कूल 1998 में कनोडिया बालिका इंटर कालेज में किया। इंटर 2000 में इसी विद्यालय से पास किया। बीए बद्री विशाल महाविद्यालय से किया और एमए की पढ़ाई बद्री विशाल महाविद्यालय से पूर्ण की। 2007 में बीटीसी डायट रजलामई से पूर्ण की। शुरु से पढऩे लिखने की हॉवी बनी रही। शिक्षिका बनने के बाद प्राथमिक विद्यालय सराह में तैनाती मिली। शासन द्वारा योजनाओं को क्रियांवन कराना और बच्चों को उनका लाभ दिलाना मेरा उद्देश्य रहा। विद्यालय के बाद ज्यादातर समय बच्चों को देती हूं। जिससे वह पढक़र आगे परिवार व जिले का नाम रोशन कर सकें। बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलाना मेरा उद्देश्य है। विद्यालय में विभिन्न गतिविधियों के तहत खेल एवं व्यायाम कराती हूं। विभिन्न रैलियों में बच्चे प्रतिभाग करते है। पर्यावरण जागरुकता रैली, संचारी रोग नियंत्रण अभियान रैली, स्वच्छता अभियान रैली, जल संचयन रैली, स्कूल चलो अभियान रैली के अलावा स्वतंत्रता दिवस एवं गणतंत्र दिवस पर प्रभातफेरी निकाली जाती है। साथ ही बच्चों के स्वास्थ्य को देखते हुए व्यायाम व योगा कराया जाता है। मेरी शासन से मांग है कि शिक्षकों के हितों को देखते हुए पुरानी पेंशन बहाल की जाये, चिकित्सा सुविधा दी जाये, चिकित्सकों की ऑनलाइन अवकाश प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाया जाये। ग्रामीण गरीब बच्चों को शिक्षा के लिए प्रेरित करना और उन्हे पठन-पाठन सामग्री उपलब्ध कराती हूं। जिससे वह परीक्षा में अच्छे अंक लाकर उत्तीर्ण हो। मेधावी छात्र-छात्राओं को निजी स्तर से पुरुस्कृत करती हूं। समय-समय पर विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है। जिनके माध्यम से उनका ज्ञानावर्धन होता रहता है। विद्यालय में शैक्षिक व्यवस्था को सुद्रण करने के लिए सभी शिक्षकों का सहयोग मिलता है।

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