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18 माह में 10 रिश्वतखोर गिरफ्तार, लेकिन रिश्वतखोरी का खेल जारी

उन्नाव ,समृद्धि न्यूज। सरकारी दफ्तरों में फैला भ्रष्टाचार अब शासन की सख्त नजरों में है। बीते 18 महीनों में विजिलेंस और एंटी करप्शन टीम ने कुल 10 अधिकारियों/कर्मचारियों को रंगेहाथों रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है। हालांकि, इनमें से अधिकतर आरोपी जमानत पर रिहा हो चुके हैं, लेकिन रिश्वतखोरी का सिलसिला अब भी चल रहा है।

ज्ञात हो कि नगर पंचायत ऊगू पशु चिकित्सालय में तैनात डॉ. सोमेश निगम को विजिलेंस टीम ने 25 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। शिकायत पशुधन एप की आईडी सक्रिय कराने के एवज में रिश्वत मांगने की थी।

सूत्रों के अनुसार, डॉक्टर पर 50% तक कमीशन की मांग का आरोप है। जो कर्मचारी कमीशन नहीं देते थे, उनकी गलत रिपोर्ट भेज दी जाती थी। गिरफ्तारी के बाद डॉ. निगम को विभूति खंड थाने भेजा गया, जहां सोमवार रात हिरासत में रखने के बाद मंगलवार को भ्रष्टाचार निवारण न्यायालय, लखनऊ में पेश किया जाएगा।

जनपद में बीते 18 महीने में विजिलेंस टीम ने की कार्यवाही

  •  26 जून 2025: ऊगू के पशु चिकित्सक डॉ. सोमेश निगम रिश्वत लेते पकड़े गए।
  •  10 मार्च 2025: डीआईओएस कार्यालय के दो लिपिक रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार।
  •  7 अक्टूबर 2024: जिला मलेरिया अधिकारी रमेश चंद्र यादव रिश्वत लेते पकड़े गए।

एंटी करप्शन की कार्रवाई भी रही सक्रिय:

  •  24 जनवरी 2025: हसनगंज के दारोगा बेचन यादव 1.5 लाख की रिश्वत लेते धरे गए।
  •  24 अक्टूबर 2024: हसनगंज तहसील के राजस्व निरीक्षक अनिल पांडेय 5 हजार लेते पकड़े गए।
  •  21 सितंबर 2024: पुलिस निरीक्षक हीरा सिंह 50 हजार लेते पुलिस क्लब में गिरफ्तार।
  •  11 सितंबर 2024: सफीपुर कोतवाली के मुख्य आरक्षी 5 हजार लेते गिरफ्तार।
  •  मई 2024: प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के लिपिक 50 हजार की रिश्वत लेते रंगेहाथ पकड़े गए।
  • 18 दिसंबर 2023: सफीपुर पूर्ति कार्यालय का लिपिक 3 हजार की घूस लेते पकड़ा गया।

सूत्रों की माने अब रिश्वत लेने का तरीका बदल गया है। खासतौर पर निर्माण से जुड़े विभागों में कमीशन के नाम पर रिश्वत खुलेआम ली जा रही है, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही।

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