बहुजन समाज पार्टी में बड़ा उलटफेर हुआ है. बसपा चीफ मायावती ने अपने भतीजे और पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. यह जानकारी बसपा चीफ ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर दी. मायवती ने अशोक के साथ-साथ उनके करीबी नितिन सिंह को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया है. दावा है कि नितिन, अशोक के करीबी हैं. बसपा चीफ ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा- बीएसपी की ओर से ख़ासकर दक्षिणी राज्यों आदि के प्रभारी रहे डा अशोक सिद्धार्थ, पूर्व सांसद व श्री नितिन सिंह, ज़िला मेरठ को, चेतावनी के बावजूद भी गुटबाजी आदि की पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के कारण पार्टी के हित में तत्काल प्रभाव से पार्टी से निष्कासित किया जाता है. मायावती ने साल 2019 के बाद पार्टी की रणनीति बदलते हुए आशोक सिद्धार्थ को तीन राज्यों का प्रभारी बनाया था. अशोक के बारे में दावा किया जाता है कि वह लो प्रोफाइल रहने वालों में से हैं. वह पार्टी में पर्दे के पीछे रहते हुए काम करते रहे हैं.
बीएसपी की ओर से ख़ासकर दक्षिणी राज्यों आदि के प्रभारी रहे डा अशोक सिद्धार्थ, पूर्व सांसद व श्री नितिन सिंह, ज़िला मेरठ को, चेतावनी के बावजूद भी गुटबाजी आदि की पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के कारण पार्टी के हित में तत्काल प्रभाव से पार्टी से निष्कासित किया जाता है।
बूथ लेवल कार्यकर्ता के तौर पर अशोक सिद्धार्थ की हुई थी एंट्री
फर्रुखाबाद के रहने वाले अशोक सिद्धार्थ बीएसपी के पुराने नेता रहे हैं. उनके पिता बीएसपी संस्थापक कांशीराम के सहयोगी थे. सिद्धार्थ ने बूथ लेवल कार्यकर्ता से काम शुरू किया. फिर वे राज्यसभा के सांसद तक बने. इससे पहले वे कई बार मंडल कोऑर्डिनेटर बने. जब मायावती यूपी की मुख्यमंत्री थीं तो उन्हें MLC बनाया था. अशोक सिद्धार्थ की पत्नी महिला आयोग में रही हैं. लेकिन उनका नाम तब सुर्खियों में आया जब मायावती ने उनकी बेटी का हाथ मांग लिया.
अशोक सिद्धार्थ पर क्यों हुई कार्रवाई?
मायावती के भतीजे आकाश आनंद विदेश से पढ़ाई कर देश लौट चुके थे. वे धीरे धीरे राजनीति में भी सक्रिय हो गए थे. मायावती ने भाई आनंद के बेटे आकाश की शादी अशोक सिद्धार्थ की बेटी से तय कर दी. दिल्ली में ये विवाह हुआ. अब अशोक सिद्धार्थ मायावती के रिश्तेदार हो गए. बस यहीं से पार्टी के कई लोग उनके खिलाफ लग गए. राजस्थान से लेकर एमपी के चुनाव में उन्हें लगाया गया. दक्षिण भारत के राज्यों का काम उनके पास पहले से ही था. इसी दौरान आकाश आनंद को भी हरियाणा से लेकर राजस्थान के चुनाव का प्रभारी बनाया गया. पर नतीजे ख़राब रहे.
आकाश आनंद पर भी लोकसभा चुनाव के बीच ही हुई थी कार्रवाई
पिछले लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान ही आकाश आनंद विवाद में आ गए. बीजेपी पर उनके तीखे हमले के बाद उन्हें मायावती ने प्रचार से हटा दिया. उनसे राजनीतिक उत्तराधिकारी वाली ज़िम्मेदारी भी मायावती ने छीन ली. कहा गया राजनीतिक रूप से आकाश परिपक्व नहीं है. पहले आकाश आनंद का पावर कम करना और अब अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से बाहर करना. क्या इन दोनों फैसलों का भी कोई कनेक्शन हैं!