फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। संस्कार भारती द्वारा आयोजित कार्यशाला में बच्चों को 10 विधाओं में पारंगत किया जा रहा है। जिसमें कथक, चित्रकला, ढोलक, मेहंदी, नृत्य, डिजाइनर सिलाई, सौंदर्य कला (ब्यूटी पार्लर), हस्तकला (हैंडीक्राफ्ट), रंगोली नाट्य कला में बच्चे निपुण हो रहे हैं। संस्कार भारती में ढोलक विधा में किरण त्रिवेदी ने बताया हमारे समाज में ढोलक बजाना पुरानी परंपरा है। दादी नानी से परंपरागत ढोलक बजाना चली आ रही है। हमारे नए समाज में अब ढोलक बजाना कोई नहीं जानता, आधुनिक वाद्य यंत्रों ने ढोलक और हारमोनियम बजाना समाप्त हो गया है। उसके स्थान पर शादी विवाह उत्सवों में डीजे मोबाइल पर आधारित जीवन हो गया है। बिजली चली जाए मोबाइल बंद हो जाए तो वहीं सांस रुक जाती है। मैं कई वर्षों से संस्कार भारती की कार्यशाला में ढोलक बजाने की परंपरा में अभी तक सैकड़ो छात्रों को तैयार किया। उन्होंने बताया कि संस्कार भारती संगीत की प्राचीन विद्या में ढोलक वादन की परंपरा को जीवित रखे हुए हैं और उसको संरक्षण दे रही है। ढोलक वादन समाज की सरल एवं अच्छी राग रागिनी में लोक परंपराओं को पेश किया जा सकता है। ढोलक में अनेक विधाए हैं मैं सामाजिक ढोलक बजाना सिखाती हूं। कार्यशाला की व्यवस्था संयोजक डॉ0 सर्वेश श्रीवास्तव, कुलभूषण श्रीवास्तव, सुरेंद्र पांडेय, अरविंद दीक्षित, प्रीतू वर्मा, रविंद्र भदोरिया, अर्पण शाक्य, सुनीता सक्सेना आदि मौजूद रहे।
कार्यशाला में छात्राओं ने सीखे ढोलक बजाने के गुर
