प्रयागराज
इलाहाबाद हाईकोर्ट का नाम बदलने को लेकर अहम फैसला,
हाईकोर्ट ने कहा धर्म जाति के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को अपना नाम चुनने या बदलने का मौलिक अधिकार है,
यह अधिकार संविधान के अनुच्छेद 19(1)ए, अनुच्छेद 21व अनुच्छेद 14के अंतर्गत सभी नागरिकों को प्राप्त हैष
इस अधिकार को प्रतिबंधित करने का नियम मनमाना एवं संविधान के विपरीत है,
कोर्ट ने कहा कि किसी को अपना नाम बदलने से रोकना उसके मूल अधिकारों का हनन है,
कोर्ट ने इंटरमीडिएट रेग्यूलेशन 40को अनुच्छेद 25के विपरीत करार दिया है,
कहा यह नाम बदलने की समय सीमा व शर्तें थोपती हैस
कोर्ट ने सचिव माध्यमिक शिक्षा परिषद के 24 दिस़बर 20 के आदेश को रद्द कर दिया,
इस आदेश से याची को हाई स्कूल व इंटरमीडिएट प्रमाणपत्र में नाम परिवर्तित करने की मांग अस्वीकार कर दी गई थी,
कोर्ट ने याची का नाम शहनवाज के स्थान पर एम डी समीर राव बदलकर नया प्रमाणपत्र जारी करने का दिया निर्देश,
कोर्ट ने याची को पुराने नाम के सभी दस्तावेज संबंधित विभागों में जमा करने का दिया निर्देश,
ताकि नये नाम से जारी किए जा सकें और पुराने दस्तावेजों का गलत इस्तेमाल न हो सके,
कोर्ट ने भारत सरकार के गृह सचिव व प्रदेश के मुख्य सचिव को इस संबंध में लीगल फ्रेम वर्क तैयार करने का भी दिया आदेश,
याची एम डी समीर राव की ओर से दाखिल याचिका,
याची ने धर्म परिवर्तन किया और नाम बदलने की बोर्ड को अर्जी दी,
बोर्ड सचिव ने नियमों व समय सीमा का हवाला देते हुए अर्जी खारिज कर दी,
जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी,
बोर्ड का कहना था कि नाम बदलने की मियाद तय है,
याची ने नाम बदलने की अर्जी देने में काफी देरी की है,
कोर्ट ने इसे सही नहीं माना और कहा यदि कोई धर्म जाति बदलता है,
तो धार्मिक परंपराओं व मान्यताओं के लिए उसका नाम बदलना जरूरी हो जाता है,
उसे ऐसा करने से नहीं रोका जा सकता,यह मनमाना है,
किसी को भी अपनी मर्जी से नाम रखने का मूल अधिकार है,
जस्टिस अजय भनोट की सिंंगल बेंच ने दिया आदेश।