लखनऊ: सरकार के वरिष्ठ चिकित्सकों को प्राइवेट प्रैक्टिस भत्ता देने के बाद भी मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा शिक्षक अपनेपन पर उतारू हैं। प्राइवेट प्रैक्टिस में लिप्त दो चिकित्सा शिक्षकों पर सरकार ने सख्त कार्रवाई की है। प्रदेश के सात और डॉक्टर कार्यवाही की जद में आ गए हैं। इनको आरोप पत्र देकर उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव को निर्देशित किया गया है।
इन सात डाक्टरों पर कार्यवाही के निर्देश
महोबा जिला चिकित्सालय के ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ0 पवन साहू, झांसी के ट्रॉमा सेंटर मोठ के आर्थो सर्जन डॉ0 देव प्रकाश सिंह पर प्राइवेट प्रैक्टिस के आरोप हैं। फतेहपुर (बिंदकी) सीएचसी के डेंटल सर्जन डॉ0 प्रदीप कुमार बिना विभागीय अनुमति विदेश यात्रा पर गए हैं। बिजनौर हल्दौर सीएचसी की डॉ0 दिव्या गुप्ता बिना सूचना ड्यूटी से गायब हैं। हाथरस में जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ0 राकेश कुमार अग्निहोत्री व बरेली मानसिक चिकित्सालय की डॉ0 अनुराधा सिंह पर चिकित्सकीय कार्यों में रूचि न लेने के आरोप हैं। सभी चिकित्सकों पर उच्चाधिकारियों के आदेशों की अवहेलना एवं पदीय दायित्वों के निर्वहन में लापरवाही के आरोप हैं। संयुक्त राजकीय चिकित्सालय सिकंदराबाद से संयुक्त राजकीय चिकित्सालय, डिबाई, बुलंदशहर स्थानांतरण के बावजूद नवीन तैनाती स्थल में ज्वाइन न करने वाले हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ0 प्रदीप कुमार को आरोप पत्र दिया गया है।
फर्रुखाबाद के सीएमओ से स्पष्टीकरण व निदेशक को तलब
फर्रुखाबाद के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ0 अवनीन्द्र कुमार से स्पष्टीकरण तलब किया गया है। फर्रुखाबाद सीएमओ ने गलत व पूर्वागृह से ग्रसित होकर गलत एवं दिग्भ्रमित रिपोर्ट पेश की थी। जिससे शासन ने स्पष्टीकरण मांगा है। वहीं जेके कैंसर संस्थान कानपुर के निदेशक पर आउट सोर्स मैनपावर की निविदा में लापरवाही के आरोप लगे हैं। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने बिड को निरस्त करते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव को संस्थान के निदेशक से स्पष्टीकरण प्राप्त कर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।