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शिक्षा प्रेरकों की न्यायपूर्ण जीत: 07 वर्ष बाद 107 प्रेरकों को मिला बकाया मानदेय

हलिया (मिर्जापुर): ब्लॉक हलिया के 107 शिक्षा प्रेरकों को वर्षों के संघर्ष के बाद बड़ी जीत हासिल हुई है। 09 जुलाई 2025 को सभी प्रेरकों के खातों में 30,000 की राशि अंततः स्थानांतरित कर दी गई। यह भुगतान उन 22 माह के अवशेष मानदेय का आंशिक हिस्सा है, जो मार्च 2018 में सरकार द्वारा प्रेरक योजना बंद किए जाने के बाद बकाया रह गया था।लंबा संघर्ष, ऐतिहासिक जीत मार्च 2018 में जब सरकार ने शिक्षा प्रेरक योजना को अचानक समाप्त कर दिया था, तब 22 माह का मानदेय बिना भुगतान के ही रोक दिया गया था। इससे प्रेरकों में गहरा आक्रोश था। इसके बाद ब्लॉक अध्यक्ष जयप्रकाश कश्यप, बृजेश मिश्रा, जगदीश, समर बहादुर, पुष्पराज सहित अन्य प्रेरकों ने आंदोलन और न्यायिक लड़ाई की शुरुआत की। इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर की गई ऋण याचिका
प्रेरकों ने सामूहिक रूप से इलाहाबाद उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर की। इस प्रक्रिया में RTI (सूचना का अधिकार) के माध्यम से तथ्य एकत्र करने वाले भाई भरत चौरसिया जी की भूमिका अत्यंत सराहनीय रही। वे समय-समय पर कोर्ट में ठोस साक्ष्य प्रस्तुत करते रहे।
वहीं दयाशंकर चौरसिया जी ने मुकदमे की कानूनी पैरवी पूरी निष्ठा, समर्पण और निर्भीकता के साथ की, जिससे यह मामला लगातार मजबूत होता गया।संघर्ष की कड़ी से जीत तक का सफर
प्रेरकों ने न केवल कानूनी लड़ाई लड़ी, बल्कि सामाजिक जागरूकता भी फैलायी। पूरे प्रदेश में इस प्रयास की चर्चा होती रही। स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लेकर प्रशासन तक को कई बार ज्ञापन सौंपे गए।
इस जुझारूपन, एकता और अदम्य हौसले का ही परिणाम रहा कि 7 वर्षों बाद न्याय की किरण दिखी। प्रतिक्रियाएं मानेन्द्र बहादुर सिंह ने कहा
“यह केवल धन की वापसी नहीं, हमारी अस्मिता की जीत है। वर्षों की मेहनत और संघर्ष आज रंग लाया।वहीं, RTI योद्धा भरत चौरसिया ने कहा यह सच और दस्तावेजों की ताकत है, जिसने वर्षों से बंद पड़े द्वार खोल दिए। यह विजय उन सभी प्रेरकों की है जिन्होंने कठिनाइयों में भी हार नहीं मानी, और न्याय के लिए निरंतर जुटे रहे। यह मिसाल आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।

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