ऐतिहासिक चिंतामणि तालाब का अस्तित्व खतरे में

मान्यता के अनुसार स्नान करने से दूर होते हैं चर्म रोग
काफी संख्या में स्नान करने के लिए पहुंच रहे श्रद्धालु

( ज्ञानचन्द्र राजपूत )

फर्रुखाबाद/शमशाबाद, समृद्धि न्यूज। जनपद को अपरा काशी के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यहां बनारस के बाद सबसे ज्यादा मंदिर हैं। सभी मंदिरों की अपनी मान्यता और विश्वास हैं, तो कई चमत्कारों से भरे हैं जो आज भी शोध का विषय हैं। जनपद के शमशाबाद ब्लाक में एक ऐसा तालाब भी है जिसमें स्नान करने मात्र से असाध्य से असाध्य चर्म रोग दूर हो जाते हैं। इस समय इस तालाब में स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं की काफी भीड़ पहुंच रही है।
चिंतामणि तालाब शमशाबाद ब्लॉक की ग्राम पंचायत असगरपुर के मजरा नगला नान में स्थित है। ग्रामीणों का कहना है कि इस तालाब का पानी कभी नहीं सूखता है। तालाब के अंदर सात कुएं बने हुए हैं। अंदर ही अंदर व किनारे पक्की सीढिय़ां बनी हैं। इस तालाब की गहराई करीब ३० फिट है। इतिहास उठाकर देखें, तो पांडवों ने एक साल का अज्ञातवास इस तालाब के किनारे काटा था। उसी दौर में इसका निर्माण कराया गया था। यहां के लोग बताते हैं कि राजा चिंतामणि को कुष्ठ रोग हो गया था। वह गंगा स्नान के लिए हरिद्वार जा रहे थे। नगला नान के पास राजा चिंतामणि ने शौच के बाद तालाब में स्नान किया तो उन्हें कोढ़ में कुछ लाभ मिला। इस पर उन्होंने रोजाना तालाब में स्नान करना शुरू कर दिया और उन्हें कोढ़ रोग से मुक्ति मिल गई। इसके बाद राजा ने इसका जीर्णोद्धार कराया तो इसका नाम राजा चिंतामणि तालाब पड़ गया। इस समय तालाब में स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। कई लोग तो चर्म रोगों से निजात पाने के लिए इस तालाब में स्नान करने के लिए आते हैं। वहीं कुछ लोग अपने बच्चों के मुंडन आदि कार्यक्रम भी इस तालाब के पास आकर करवाते हैं। किन्तु काफी समय से इसका रंगरोगन न होने से यह तालाब कई स्थानों से क्षतिग्रस्त हो गया है। वहीं इस ऐतिहासिक धरोहर को संजोने के लिए प्रशासन भी कोई कदम नहीं उठा रहा है। यहां के ग्रामीणों ने इस ऐतिहासिक तालाब का जीर्णोंद्धार कराये जाने की मांग की है।

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