भारत-चीन में LAC पर तनाव खत्म! दिवाली पर दोनों देशों के सैनिकों ने एक दूसरे को दी मिठाई

भारत और चीन के बीच देपसांग और डेमचोक में डिसएंगेजमेंट का काम पूरा हो गया है. भारत-चीन बॉर्डर पर दोनों देशों के सैनिक पीछे हट चुके हैं. आज या कल से दोनों देशों की सेना यहां गश्त शुरू करेगी. वहीं, आज दिवाली के मौके पर दोनों देशों के सैनिकों (भारत-चीन) ने एक दूसरे को मिठाई दी है. हाल ही में भारत और चीन के बीच देपसांग और डेमचोक से डिसइंगेजमेंट को लेकर सहमति बनी थी. मिठाई केवल पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचोक में ही नहीं बांटी गई है बल्कि अन्य जगहों पर भी बांटी गई है. जहां जहां मिठाई बांटी गई है, उनमें लद्दाख में चुशुल मोल्दो, सिक्कम में नाथूला, अरुणाचल में बुमला सहित कई अन्य जगह भी शामिल हैं. सेना के सूत्रों ने बताया कि पांच बीएमपी प्वाइंट्स पर मिठाइयों का आदान प्रदान हुआ है.

21 अक्तूबर को भारत चीन के बीच सीमा समझौते का हुआ था एलान
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 21 अक्टूबर को दिल्ली में एलान किया कि पिछले कई हफ्तों से चल रही बातचीत के बाद भारत और चीन के बीच एक समझौते को अंतिम रूप दिया गया है और इससे 2020 में उठे मुद्दों का समाधान निकलेगा। पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर गश्त और सैनिकों के पीछे हटने पर समझौते को अंतिम रूप दिया गया, जो चार साल से चल रहे गतिरोध को खत्म करने की दिशा में एक बड़ी सफलता है।

डेमचोक-देपसांग से हटी चीन-भारत की सेना

सेना के सूत्रों ने बताया कि बुधवार को देपसांग और डेमचोक में डिसएंगेजमेंट का काम पूरा हो गया था. इसके बाद पेट्रोलिंग को लेकर लोकल कमांडर स्तर की बातचीत हुई. संभवत: आज या कल से दोनों देनों की सेना देपसांग और डेमचोक इलाके में गश्त शुरू कर देगी. पिछले साढ़े चार साल से तनाव की वजह से यहां पेट्रोलिंग बंद थी. हाल ही इसको लेकर दोनों देशों के बीच सहमति बनी थी. समझौता केवल डेमचोक और डेपसांग के लिए हुआ है. अन्य क्षेत्रों के लिए बातचीत अब भी चल रही है.

सबसे लंबी सीमा साझा करते हैं भारत-चीन

दरअसल, भारत और चीन दुनिया की सबसे लंबी और विवादित सीमा साझा करते हैं, जिसे लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी एलएसी कहते हैं. ये 3488 किलोमीटर लंबी सीमा है, जो तीन सेक्टर्स-ईस्टर्न, मिडिल और वेस्टर्न में भारत और चीन की सीमा को बांटती है. ये इतनी लंबी रेखा है कि जिसको लेकर भारत और चीन, लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक कई हिस्सों में अपने अलग-अलग दावे करते हैं और इससे टकराव की स्थिति बढ़ जाती है. लेकिन समझौते के बाद देपसांग और डेमचोक में दोनों देशों की सेना पीछे हट चुकी है.

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