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ध्यान एवं शान्ति पाठ के बीच महात्मा रामचन्द्र के तीन दिवसीय जलसे को विराम.

*महात्मा रामचन्द्र की समाधि तक भक्तों को खींच लाता है उनका श्रद्धा और विश्वास
फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज।
आन्तरिक अभ्यास (ध्यान) एवं शांति पाठ के साथ सूफी संत महात्मा रामचन्द्र के अनुयायियों का तीन दिवसीय सालाना जलसा रविवार को सम्पन्न हो गया। श्रद्धालुओं ने विदा होते समय महात्मा रामचन्द्र की पौत्रवधू माधुरी सक्सेना एवं प्रपौत्र सूफी संत विनय सक्सेना से आशीर्वाद लिया तथा अगले वर्ष भण्डारे में आने का संकल्प लिया। जलसे में दिल्ली गांधी नगर के विधायक अनिल बाजपेयी, रामपुर की पूर्व जिला जज अलका श्रीवास्तव, रेलवे के पूर्व मुख्य सर्तकता अधिकारी सुनील गुप्ता, पर्यटन अधिकारी चित्र गुप्त श्रीवास्तव सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने शिरकत की। जलसे को सम्बोधित करते हुए सूफी संत प्रभात मोहन ने महात्मा जी की साधना पद्वित को बताया। उन्होंने कहा कि जो लोग धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करते, वहीं वास्तव में सूफी संत और फकीर है। महात्मा रामचन्द्र के प्रपौत्र सूफी संत विनय सक्सेना ने महात्मा जी के जादुई भरे करिशमाई किस्से सुनाकर उनकी रुहानी ताकत का एहसास कराया। उन्होंने कहा कि सूफी धर्म सद्भाव और इंसानियत का पैगाम देता है। सदारत सूफी मौलाना शहनाज खान के की, उन्होंने महात्मा जी के आदर्शों को आत्मसात करने का आवाह्न किया। पीढिय़ों से महात्मा जी में श्रद्धा लोगों को यहां खींच लाती है। जलसे में ग्वालियर मध्यप्रदेश से राजकुमार पिछले २० वर्षों से समाधि पर आ रहे है। उन्होंने बताया कि समाधि से जुड़कर रुहानी ताकत का एहसास होता है। विधायक अनिल बाजपेयी पिछले 30 वर्षों से समाधि के जलसों में आ रहे है। उन्होंने बताया कि महात्मा जी से जुड़कर जीवन में अनेक सकारात्मक परिवर्तन हुए। मऊ जिले से आये रामनिवास यादव ने बताया कि उनकी पीढिय़ा महात्मा जी से जुड़ी है। यही श्रद्धा और विश्वास उन्हें यहां खींच लाती है। समारोह में गिरीश चन्द्र बाथम, शालिनी, समीर सक्सेना, अवधेश दुबे, प्रदीप विसारिया, शिवम सक्सेना, राकेश पाल, सुशील दीक्षित ने व्यवस्था संभाली।

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