जब सिनेमा नहीं थे तब रंगमंच ही मनोरंजन का साधन था: राजगौरव
फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। विश्व रंगमंच दिवस पर नक्श थिएटर के तत्वाधान में रेलवे क्रासिंग पश्चिम स्थित कार्यालय पर रंगमंच के विकास व विस्तार पर बैठक का आयोजन हुआ। अध्यक्षता करते हुए राकेशानंद ने रंग कर्मियों के समस्त विचार व्यक्त किये। निदेशक अमित सक्सेना ने कहा कि रंगमंच का इतिहास बहुत पुराना है। रंग कर्मियों को सरकारी प्रोत्साहन मिलना चाहिए। सचिव व रंग कर्मी राजगौरव पाण्डेय ने कहा कि जब सिनेमा नहीं था तब रंगकर्मी ही मनोरंजन के साधन थे। प्रत्येक जिले में रंगालय स्थापित होने चाहिए। रविन्द्र भदौरिया ने कहा कि अभिनय जीवन जीने की कला है। जिसे रंगकर्मी ही जान सकता है। दिलीप कश्यप ने कहा कि रंगमंच पर अभिनय एक शरीर की सच्ची साधना है। अलीम अंसारी ने कहा कि उदासीनता व अवसरवाद से बाहर आने की कला एक रंगकर्मी ही जान सकता है। राकेशानंद ने कहा कि रंगकर्मी समाज में मार्गदर्शक के रुप में कार्य करता है, वह नाटक के माध्यम से समाजिकता को प्रदर्शित करता है। इस मौके पर नेहा सक्सेना, अंकित गुप्ता, शैली, खुशी पाल, खुशबू, छवि, जागृति आदि लोग मौजूद रहे।
नक्श थिएटर द्वारा विश्व रंगमंच दिवस पर संगोष्ठी का हुआ आयोजन
