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अजीजाबाद में कागजों पर दौड़ रहे मनरेगा मजदूर, धरातल पर कुछ भी नहीं

रोजगार सेवक व प्रधान द्वारा मनरेगा मजदूरों की फर्जी तरीके से की जा रही हाजिरी अपलोड
शमशाबाद, समृद्धि न्यूज। एक तरफ जहा केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा में सरकार पानी की तरह पैसा बहा रही है जिससे ग्रामीण क्षेत्र के कमजोर वर्ग के लोगों को गांव में ही रोजगार उपलब्ध कराया जा सके। इसके लिए रोजगार गारंटी योजना शुरू की गई थी। इस योजना के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र के प्रति व्यक्ति को 100 दिन का रोजगार देने का सरकार द्वारा वादा किया गया था। इस योजना के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र का विकास एवं मनरेगा योजना के अंतर्गत गांव का विकास कराकर ग्रामीण किसानों को सुविधा मुहैया कराकर उक्त क्षेत्र के किसानों की रोजगार की समस्या खत्म हो सके। सरकार की महत्वाकांक्षी योजना को विकासखंड के माध्यम से अमली जामा पहनाया जाना था। जिसके लिए सरकार समय-समय पर ग्राम विकास अधिकारी कार्यालय पर मनरेगा योजना के कार्यों की समीक्षा भी की जाती है। मगर सरकार तथा प्रशासन मनरेगा में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। हकीकत को देखा जाए तो शमशाबाद विकास खंड में मनरेगा योजना में भ्रष्टाचार इस कदर व्याप्त है कि घोटाले बाज प्रधानों से पार पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है। यही कारण है कि ग्रामीण क्षेत्रों में विकास तो नहीं हो रहा है लेकिन विकास के नाम पर प्रधान व उच्च अधिकारी अपनी-अपनी जेबें जरूर भरकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है। ऐसा ही एक मामला शमसाबाद विकास खंड की ग्राम पंचायत अजीजाबाद में देखने को मिला। जहां कैलाश के खेत से वीरेंद्र के खेत तक चकरोड पर मिट्टी का कार्य होना दर्शाया जा रहा है। ये कार्य पिछले 16 अक्टूबर से कागजों में ही चल रहा है। इस कार्य में 39 मनरेगा मजदूरों की फर्जी हाजिरी रोजगार सेवक विशुन दयाल व प्रधान महेश द्वारा मनरेगा पोर्टल पर अपलोड कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है, जबकि धरातल पर कोई भी कार्य नही हो रहा है। इस संबंध में जब गांव के ग्रामीणों से वार्ता की गई तो उन्होंने बताया कि उन्होंने आज तक किसी भी मजदूर को इस जगह काम करते हुए नहीं देखा है। उन्होंने बताया कि रोजगार सेवक विशुन दयाल के द्वारा दो चार लोगों को खड़ा कर फोटो खींच लिया जाता है और फोटो खींचने के बाद वापस कर दिया जाता हैं। जब हकीकत में मौके पर जाकर देखा गया तो वहां कहीं पर भी एक भी फावड़ा मिट्टी नजर नहीं आई। वहीं जब इस संबंध में विकास खण्ड अधिकारी से बात करने का प्रयास किया गया, तो उनसे बात नहीं हो सकी।

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