17 वर्ष पूर्व थाना मऊदरवाजा में धोखाधड़ी का लिखा गया था मुकदमा
न्यायालय ने बरती सख्ती, तो थानाध्यक्ष बोले-थाने में नहीं है कोई अभिलेख
दोषी पुलिस कर्मियों पर एसपी को कार्यवाही करने के निर्देश
फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। 17 वर्ष पूर्व धोखाधड़ी आदि के मामले में तहसीलदार सहित कई लोगों पर दर्ज कराये गये मुकदमे की पत्रावली थाने से गायब होने के मामले में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्टे्रट ज्ञानेन्द्र कुमार ने दोषी पुलिस कर्मियों के विरुद्ध कार्यवाही कर अवगत कराने के लिए पुलिस अधीक्षक को पत्र भेजा है।
बताते चले कि वर्ष 2001 के मुकदमे में 29 अप्रैल 2002 में अंतिम आख्या न्यायलय में दाखिल की गई। 30 अगस्त 2008 को अंतिम आख्या निरस्त कर थानाध्यक्ष मऊदरवाजा को पुन: विवेचना के लिए न्यायालय ने निर्देशित किया। उसके बाद 1 अक्टूबर 2008 को थाने के पैरोकार को विवेचना हेतु पत्रावली दी गई। लगभग 17 वर्ष बीत जाने के बाद भी जब थानाध्यक्ष मऊदरवाजा द्वारा पुन: विवेचना कर न्यायालय को अवगत नहीं कराया। जब इस संबंध में न्यायालय द्वारा थानाध्यक्ष मऊदरवाजा को 16 मई 2025 नोटिस द्वारा तलब किया गया कि 20 मई को उक्त मामले में आख्या प्रस्तुत की जाए। 20 मई 2025 को थानाध्यक्ष ने न्यायालय को अवगत कराया कि उक्त पत्रावली का थाने के किसी भी अभिलेख में कोई उल्लेख नहीं है और न ही यह जानकारी पुन: विवेचना के लिए किस विवेचक को दी गई थी। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर उक्त मामले की जांच कराकर दोषी पुलिसकर्मी के विरुद्ध कार्यवाही कर न्यायालय को एक सप्ताह के अंदर अवगत करायें। जानकारी के अनुसार कोतवाली फतेहगढ़ क्षेत्र ग्राम याकूतगंज के निवासी सतीश चंद्र पुत्र रामचंद्र कटियार ने 156(3) के माध्यम महेंद्र कुमार, हरेंद्र कुमार, अरविंद कुमार, सुधीर कुमार पुत्रगण रमेशचंद्र बढ़पुर, शिव बहादुर पटेल तहसीलदार सदर फर्रुखाबाद, गुरबचन दास नाजिर तहसील सदर, रामानुज द्विवेदी एडवोकेट के विरुद्ध अपराध संख्या २८४ए/२००१ धारा 418, 419, 420 के तहत दर्ज करवाया था। इस संदर्भ में पुलिस अधीक्षक से जानकारी करनी चाही तो उनके पीआरओ धर्मेन्द्र सिंह ने बताया कि कप्तान साहब से बात नहीं हो पायेगी। जब इस प्रकरण के बारे में पूछा गया तो बोले कि कोई जानकारी नहीं है।
सत्रह वर्ष पूर्व मामले की पत्रावली थाने से गायब, खाकी मौन
