समृद्धि न्यूज। सावन का पहला सोमवार 14 जुलाई यानी आज है। वैसे तो सोमवार का दिन महादेव को ही समर्पित है, लेकिन सावन में पडऩे के कारण इस दिन का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है। शिव पुराण में सावन सोमवार व्रत की महिमा का वर्णन किया गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सावन सोमवार व्रत करने से पुत्र, योग्य वर, जल्द विवाह के योग बनते हैं। इस दिन व्रत में भक्त शिवजी और माता पार्वती की आराधना करते हैं और पूजा के समय सावन सोमवार व्रत कथा सुनते हैं। कहते हैं कि व्रत कथा का पाठ किए बिना पूजा और व्रत अधूरा रहता है।
जलाभिषेक की विधि
- शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के लिए सर्वप्रथम सुबह ही स्नान करें।
- फिर शिवलिंग के पास सभी पूजन सामग्रियों को एकत्रित कर लें।
- अब शिवलिंग के सामने हाथ जोडक़र महादेव का स्मरण करें।
- फिर दूध, दही, शहद, घी, शक्कर, गन्ने के रस से शिवलिंग पर अभिषेक करें।
- इस दौरान जल को आराम से चढ़ाएं ताकी धारा पतली रहे।
- जल चढ़ाते हुए ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें।
- इसके बाद गंगाजल में कुछ काले तिल डालकर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
- फिर इस जल को शिवलिंग पर अर्पित करें।
- महादेव को बेलपत्र, फूल व शहद चढ़ाएं।
- अब आटे का चौमुखी दीपक जलाकर शिव चालीसा का पाठ करें।
- अंत में महादेव की आरती करें और क्षमतानुसार जरूरतमंदों को दान करें।
सावन सोमवार व्रत कथा
श्रावण मास भगवान शिव को विशेष रूप से प्रिय होता है। सावन सोमवार व्रत विशेष रूप से कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति और विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं, कहते हैं कि सावन सोमवार का व्रत रखकर इस कथा का पाठ करने से हर मनोकामना पूरी होती है।
प्राचीन समय में एक निर्धन ब्राह्मण दंपति रहते थे, जो कि भगवान शिव के परम भक्त थे, उन दोनों की कोई संतान नहीं थी और वे संतान की प्राप्ति के लिए शिवजी की तपस्या करते थे, कई सालों तक लगातार पूजा-पाठ करने के बाद भी उन्हें संतान नहीं हुई, जिससे निराश होकर वे शिव मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना करने लगे। ब्राह्मण दंपति हर समय भोलेनाथ की भक्ति में लगे रहते थे, उनकी भक्ति देख भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने सपने में दंपत्ति को दर्शन दिए, भगवान शिव ने उनसे कहा कि वे सावन में हर सोमवार को व्रत करें और मेरी पूजा करें, ऐसा करने से तुम्हें संतान सुख जरूर मिलेगा। यह सुनकर ब्राह्मण दंपति ने पूरे श्रावण मास में सोमवार को व्रत रखा, शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, धतूरा और फूल आदि भी चढ़ाए। उन्होंने दिनभर व्रत रखकर शाम को शिवजी की आरती कर भोग लगाया। ऐसा कहा जाता है कि सावन समाप्त होते-होते उन्हें शिवजी का आशीर्वाद प्राप्त हुआ और कुछ समय बाद उन्हें एक सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई।
सावन सोमवार पूजा मुहूर्त और जलाभिषेक का समय
14 जुलाई को सावन का पहला सोमवार व्रत है और इस दिन सुबह ब्रह्रा मुहूर्त से लेकर प्रदोषकाल तक शिव पूजा करना बहुत ही लाभकारी होता है। वहीं 14 जुलाई को सावन के पहले सोमवार पर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के लिए कई मुहूर्त है।
सावन सोमवार जलाभिषेक अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12 बजे से 12 बजकर 50 मिनट तक
सावन सोमवार जलाभिषेक प्रदोष काल: शाम 07 बजकर 15 मिनट से 08 बजकर 45 मिनट तक
अयोध्या में सावन माह के पहले सोमवार को क्षीरेश्वर नाथ मंदिर में पूजा-अर्चना करते श्रद्धालु
#WATCH | Ayodhya, Uttar Pradesh | Devotees offer prayers at Kshireshwar Nath temple on the first Monday of the 'saavan' month. pic.twitter.com/TOyASbjwQA
— ANI (@ANI) July 14, 2025