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तीन जेनरेशन ऑक्सीजन प्लांट बंद, दो लिक्विड प्लांट से आपूर्ति सुचारु

सैफई , समृद्धि न्यूज। उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में शनिवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की टीम ने ऑक्सीजन आपूर्ति की व्यवस्था का मौके पर मॉक ड्रिल के माध्यम से निरीक्षण किया। टीम का उद्देश्य आपातकालीन स्थिति में ऑक्सीजन की उपलब्धता, निर्बाध आपूर्ति और तकनीकी तैयारियों का परीक्षण करना था। इस दौरान विश्वविद्यालय परिसर में लगे तीन ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट बंद पाए गए। हालांकि, दो लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट पूरी तरह से संचालित हैं और अस्पताल में ऑक्सीजन की आपूर्ति में किसी प्रकार की कोई बाधा नहीं है।
डब्ल्यूएचओ की टीम में शामिल डॉ. कुणाल ने विश्वविद्यालय के ऑक्सीजन प्लांट के नोडल अधिकारी डॉ. मनोज यादव के साथ निरीक्षण किया। दोनों अधिकारियों के बीच ऑक्सीजन व्यवस्था की तकनीकी स्थिति, संचालन प्रक्रिया और मरम्मत की आवश्यकता को लेकर बारीकी से चर्चा हुई। निरीक्षण के दौरान यह तथ्य सामने आया कि कोरोना महामारी के दौरान लगाए गए तीनों पीएसए ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट वर्तमान में खराब हालत में हैं। इनमें से एक प्रधानमंत्री केयर फंड से तथा दो मुख्यमंत्री केयर फंड से स्थापित किए गए थे। वर्तमान में यह प्लांट संचालन से बाहर हैं, लेकिन इनकी मरम्मत की प्रक्रिया शीघ्र शुरू की जा रही है।
नोडल अधिकारी डॉ. मनोज यादव ने बताया कि इन तीनों प्लांटों की मरम्मत के लिए टेंडर प्रक्रिया एक-दो दिन में शुरू कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि इन प्लांटों ने कोविड काल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और भविष्य की आपात स्थितियों में भी इनकी उपयोगिता बनी रहेगी, इसलिए इन्हें जल्द से जल्द दोबारा चालू किया जाएगा। विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि भले ही तीन जेनरेशन प्लांट फिलहाल बंद हैं, लेकिन परिसर में संचालित दो लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट पूरी क्षमता के साथ कार्य कर रहे हैं। मरीजों को ऑक्सीजन की आपूर्ति निर्बाध रूप से की जा रही है और किसी भी स्तर पर संकट की स्थिति नहीं है।
डब्ल्यूएचओ की टीम ने निरीक्षण के दौरान पाइपलाइन नेटवर्क, भंडारण प्रणाली, बैकअप इंतजाम और तकनीकी देखरेख के प्रबंधों का भी सूक्ष्म परीक्षण किया। विश्वविद्यालय की आधारभूत संरचना को मजबूत मानते हुए टीम ने सुझाव दिया कि खराब प्लांटों की मरम्मत को प्राथमिकता पर लेकर आपात स्थितियों के लिए समुचित तैयारी रखी जाए।

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