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पीएम मोदी की सुरक्षा में चूक मामले में 25 आरोपियों के खिलाफ वारंट जारी

प्रधानमंत्री सुरक्षा चूक मामले में फिरोजपुर कोर्ट ने 25 किसानों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है. इस मामले में IPC की धारा 307, हत्या की कोशिश की धाराएं जोड़ी गई हैं. साल 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफिले को प्रदर्शनकारियों ने रोक दिया था और पीएम मोदी को वापस लौटना पड़ा था. तब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा था, “प्रधानमंत्री मोदी का काफिला एक फ्लाइओवर पर पहुंचा तो पता चला कि कुछ प्रदर्शनकारियों ने सड़क जाम कर रखी है. प्रधानमंत्री फ्लाईओवर पर 15 से 20 मिनट तक फँसे रहे. यह पीएम मोदी की सुरक्षा में बड़ी चूक थी.” प्रधानमंत्री  5 जनवरी 2022 को फिरोजपुर पीजीआई सैटलाइट सेंटर का नींव पत्थर रखने के लिए जा रहे थे लेकिन कुछ प्रदर्शनकारियों ने उनका काफिला रोक लिया था जिस कारण प्रधानमंत्री को 15 मिनट के करीब गांव प्यारेआना के पुल पर खड़े रहना पड़ा और उदघाटन किए बिना ही वापस जाना पड़ा था. इसके बाद पुलिस ने 25 अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. पुलिस ने IPC की धारा 283 लगाई गई थी, हालांकि ये जमानती धारा थी, लेकिन बाद में फिरोजपुर पुलिस ने इस मामले में जुर्म में बढ़ोतरी कर 20/12/2022 को हत्या के इरादे IPC की धारा 307, 353, 341, 186, 149, और 8 बी नैशनल हाईवे एक्ट लगा दी थी. इसका खुलासा तब हुआ जब एक व्यक्ति कमलजीत पुत्र बलजिंदर सिंह वासी प्यारनेवाला गांव फिरोजपुर की जिला सेशन जज अदालत में अग्रिम जमानत याचिका लगाई थी. इस याचिका को जिला सेशन जज वीरेंद्र अग्रवाल ने रद्द कर दी है. याचिका में पता चला है की पुलिस ने इसमें धाराओं में बढ़ोतरी कर दी है और कुछ लोगो को इस मामले में नामजद भी किया है.

एफआईआर में 26 लोगों के नाम शामिल

पुलिस ने 6 जनवरी 2022 को पहले अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। जांच के दौरान 26 लोगों को पुलिस ने चिह्नित किया, जो उस समय भीड़ में पीएम मोदी के काफिले को रोकने के लिए सड़क पर एकजुट हुए थे। इन 26 लोगों में भारतीय किसान यूनियन क्रांतिकारी और क्रांतिकारी पेंडू मजदूर यूनियन के किसान नेता व समर्थक शामिल थे, जिसमें प्रमुख तौर पर बलदेव सिंह जीरा महासचिव बीकेयू क्रांतिकारी का नाम शामिल है।

जिम्मेदार पुलिस अफसरों के खिलाफ चल रही जांच

प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक मामले में पंजाब सरकार दोषी अधिकारियों के खिलाफ भी जांच कर रही है। जांच के लिए पंजाब मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति संत प्रकाश को जांच अधिकारी नियुक्त किया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त जांच समिति की ओर से दोषी ठहराए जाने के लगभग तीन साल में सरकार ने यह कदम उठाया है। दोषी अधिकारियों में पूर्व डीजीपी एस चट्टोपाध्याय, तत्कालीन फरीदकोट के डीआईजी इंद्रबीर सिंह और तत्कालीन फिरोजपुर एसएसपी हरमबीर सिंह हंस शामिल हैं।

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