कहि जय जय जय रघुकुलकेतु, भृगुपति गए वनहि तप हेतु

फर्रूखाबाद, समृद्धि न्यूज। भगवान विष्णु ने परशुराम अंश के रूप में उस भृगु कुल में अवतार लिया। जिस भृगु के पाद-प्रहार को अपने वक्ष:स्थल पर सहा। भगवान परशुराम सर्व समाज के भगवान थे। भगवान राम के विवाह के दौरान जब परशुराम को पता चला कि भगवान शिव का धनुष किसी बालक ने तोड़ दिया, तो वह क्रोधित होकर अपना फर्शा उठा लिया। जिन्हें श्री राम ने शांत किया।
समाजसेवी अवधेश पाण्डेय ने बताया भगवान राम हर किसी रोम-रोम में बसते हैं। उसी तरह परशुराम भी हमरे समाज के पराक्रम हैं। वह शिवजी के बड़े भक्त थे और स्वाभिमानी थे। आतताइयों का पृथ्वी से २१ बार संहार करने के बाद वह शस्त्र गुरु कहलाये। उनको कोप का भाजन कोई नहीं बनना चाहता था। हम सभी लोग 10 मई को भगवान परशुराम का जन्मोत्सव मनायेंगे।
कनोडिया बालिका इंटर कालेज के लिपिक राघव मिश्रा ने बताया जब शिवजी का धनुष टूटा तो उन्होंने क्रोधित होकर कहा यह धनुष किसने तोड़ा है, तो लक्ष्मण ने कहा था कि शिवजी का धनुष तोडऩे वाला आपका कोई दास होगा। यह सुनकर मुनि क्रोधित हुए और बोले सो बिलगाउ बिहइ समाजा न त मारे जैहहिं सबराजा, सुनि मुनि बचन लखन मुसुकाने, बोले परशुधरहि अपमाने।
प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका सविता मिश्रा ने बताया धनुष तोडऩे के दौरान जब भगवान परशुराम को पता चला, तो वह बोले देवन्ह दीन्ही दंदुभी प्रभु पर बरसहिं फूल, हरषे पुर नर नारी सब मिटी मोहमय सूल, यह कहकर मुस्कराते हुए बोले कि भगवान राम का अवतार हो गया है और पुन: वापस लौट गये। भगवान परशुराम ने धरती पर कई बार आतताइयों का संहार किया।

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