अखंड सौभाग्य के लिए सुहागिनों ने वट वृक्ष का किया पूजन

याकूतगंज/शमशाबाद, समृद्धि न्यूज। सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की लंबी उम्र और सुखद वैवाहिक जीवन की कामना को लेकर वट सावित्री व्रत रखा। इस मौके पर उन्होंने वट यानी बरगद के पेड़ के नीचे पूजा अर्चना की। विभिन्न जगहों पर मंदिरों एवं बरगद के पेड़ के पास इस व्रत और पूजा में बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हुईं। सुबह से ही महिलाओं की भीड़ मंदिरों में लगी रही। सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार कर पूरे आस्था के साथ वट सावित्री की पूजा में पूरी तरह से लीन नजर आईं।
याकूतगंज में जगह-जगह अखंड सौभाग्य के लिए सुहागिनों ने वट वृक्ष का पूजन किया। कई सुहागिन महिलाओं ने सामूहिक रूप से एकत्र होकर अपने घरों में ही बरगद की डाली मंगाकर विधि विधान से पूजा अर्चना की।ऐसी मान्यता है कि इसी दिन सावित्री ने यमराज के दरबार से अपने पति सत्यवान को छुड़ाकर प्राणों की रक्षा की थी। यमराज ने सावित्री को ऐसा करने से रोकने के लिए तीन वरदान दिए। अपने तीन वरदानों मे पुत्रवती का वरदान लेकर देवी सावित्री ने यमराज के फंदे से पति को मुक्त कराने में सफल हुर्इं। पति के प्राण लेकर वापस लौटने पर सावित्री ने वट वृक्ष का आभार व्यक्त करने के लिए उसकी परिक्रमा की। उसी समय से महिलाओं द्वारा पति की सलामती के लिए वट सावित्री की पूजा अर्चना की जाती है। ऐसा भी कहा जाता है कि बरगद के पेड़ की छाल में भगवान विष्णु, जड़ में ब्रह्मा और इसकी शाखाओं में भगवान शिव निवास करते हैं। वट सावित्री व्रत कथा के बाद वट वृक्ष में सात बार पीला धागा लपेटकर बांधा जाता है। वट वृक्ष की सात परिक्रमा करने को पति पत्नी के सात जन्मों के संबंधों को जोडक़र देखा जाता है। पारंपरिक मान्यता के अनुसार सात बार बरगद के पेड़ में पीला धागा लपेटने से अकाल मृत्यु को भी टाला जा सकता है। वहीं शमशाबाद प्रतिनिधि के अनुसार आज कुइयांखेड़ा फैजबाग में सुहागिन महिलाओं ने विधि विधान से पूजा अर्चन करते हुए पति की लंबी उम्र की कामना की। सुहागिनों ने वट वृक्ष की सात बार परिक्रमा कर वृक्ष में धागे को लपेटा। जिससे पति की अकाल मृत्यु को टाला जा सके। सुहागिन महिलाओं ने सती सावित्री व्रत कथा का वर्णन किया और सती सावित्री व्रत कथा को सुना। महिला रत्ना त्रिवेदी, साधना द्विवेदी, सुनीता मिश्रा, सरोज मिश्रा, रूपा मिश्रा, शशि मिश्रा, राखी मिश्रा, आरती मिश्रा आदि सुहागिन महिलाओं ने वट वृक्ष की पूजा विधि विधान से की।

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