नये कानून का पालन कराने के लिए प्रतिबद्ध है पुलिस-एसपी
कार्यशाला में पुलिसकर्मियों व व्यापारियों की दी गयी जानकारी
फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। रविवार रात 12 बजे के बाद यानी एक जुलाई से घटित हुए सभी अपराध नये कानून में दर्ज किये जाएंगे। 01 जुलाई से देश में आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह तीन नये कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनिमय लागू हो गये है। जिनकी जानकारी देने के लिए पुलिस लाइन में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें नये कानूनों की जानकारी दी गयी।
सोमवार को पुलिस लाइन सभागार में एसपी आलोक प्रियदर्शी के साथ ही विधायक भोजपुर नागेन्द्र सिंह राठौर, विधायक अमृतपुर सुशील शाक्य, विधायक कायमगंज डॉ0 सुरभि आदि की मौजूदगी में नये कानूनों की जानकारी दी गयी। गोष्ठी में बताया गया कि ०१ जुलाई से लागू हो रहे आपराधिक प्रक्रिया तय करने वाले तीन नये कानूनों में त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए एफआइआर से लेकर फैसले तक को समय सीमा में बांधा गया है। आपराधिक ट्रायल को गति देने के लिए नये कानून में 35 जगह टाइम लाइन जोड़ी गई है। शिकायत मिलने पर एफआइआर दर्ज करने, जांच पूरी करने, अदालत के संज्ञान लेने, दस्तावेज दाखिल करने और ट्रायल पूरा होने के बाद फैसला सुनाने तक की समय सीमा तय है। बैठक में व्यापार मंडल जिलाध्यक्ष संजीव मिश्रा बॉबी, प्रमोद गुप्ता, राजू गौतम, मुकेश गुप्ता, प्रधानाचार्य दीपिका राजपूत, प्रधानाचार्य गिरिजा शंकर, सुमन राठौर आदि व्यापारी, शिक्षक एवं अधिवक्ता मौजूद रहे।
नये कानून से जल्द निपटेंगे मुकदमे
गोष्ठी में बताया गया कि आधुनिक तकनीक का भरपूर इस्तेमाल और इलेक्ट्रानिक साक्ष्यों को कानून का हिस्सा बनाने से मुकदमों के जल्दी निपटारे का रास्ता आसान हुआ है। शिकायत, सम्मन और गवाही की प्रक्रिया में इलेक्ट्रानिक माध्यमों के इस्तेमाल से न्याय की रफ्तार तेज होगी। अगर कानून में तय समय सीमा को ठीक उसी मंशा से लागू किया गया जैसा कि कानून लाने का उद्देश्य है तो निश्चय ही नये कानून से मुकदमे जल्दी निपटेंगे और तारीख पर तारीख के दिन लद जाएंगे।
तीन दिन के अंदर दर्ज करनी होगी एफआईआर
गोष्ठी में बताया गया कि आपराधिक मुकदमे की शुरुआत एफआइआर से होती है। नये कानून में तय समय सीमा में एफआइआर दर्ज करना और उसे अदालत तक पहुंचाना सुनिश्चित किया गया है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) में व्यवस्था है कि शिकायत मिलने पर तीन दिन के अंदर एफआइआर दर्ज करनी होगी। तीन से सात साल की सजा के केस में 14 दिन में प्रारंभिक जांच पूरी करके एफआइआर दर्ज की जाएगी। 24 घंटे में तलाशी रिपोर्ट के बाद उसे न्यायालय के सामने रख दिया जाएगा।
क्या है नये कानून में
- पहली बार आतंकवाद को परिभाषित किया गया,
- राजद्रोह की जगह देशद्रोह बना अपराध
- मॉब लिंचिंग के मामले में आजीवन कारावास या मौत की सजा,
- पीडि़त कहीं भी दर्ज करा सकेंगे एफआइआरए जांच की प्रगति रिपोर्ट भी मिलेगी,
- राज्य को एकतरफा केस वापस लेने का अधिकार नहीं। पीड़ित का पक्ष सुना जाएगा,
- तकनीक के इस्तेमाल पर जोर, एफआइआरए केस डायरी, चार्जशीट, जजमेंट सभी होंगे डिजिटल,
- तलाशी और जब्ती में आडियो वीडियो रिकार्डिंग अनिवार्य,
- गवाहों के लिए ऑडियो वीडियो से बयान रिकार्ड कराने का विकल्प,
- सात साल या उससे अधिक सजा के अपराध में फारेंसिक विशेषज्ञ द्वारा सबूत जुटाना अनिवार्य,
- छोटे मोटे अपराधों में जल्द निपटारे के लिए समरी ट्रायल ;छोटी प्रक्रिया में निपटाराद्ध का प्रविधान,
- पहली बार के अपराधी के ट्रायल के दौरान एक तिहाई सजा काटने पर मिलेगी जमानत,
- भगोड़े अपराधियों की संपत्ति होगी जब्त,
- इलेक्ट्रानिक डिजिटल रिकार्ड माने जाएंगे साक्ष्य,
- भगोड़े अपराधियों की अनुपस्थिति में भी चलेगा मुकदमा कौन सा कानून लेगा किसकी जगह,
- इंडियन पीनल कोड (आइपीसी) 1860 की जगह लागू हुआ है भारतीय न्याय संहिता 2023,
- क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (सीआरपीसीद्ध)1973 की जगह लागू हो हुआ भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023,
- इंडियन एवीडेंस एक्ट 1872 की जगह लागू हो रहा है भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023