जिले में शांतिपूर्ण ढंग से कुल 59.06 प्रतिशत हुआ मतदान

आठ प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला ईवीएम में हुआ कैद
सपा व भाजपा प्रत्याशी के बीच इस बार कांटे का मुकाबला
फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। लोकतंत्र के महापर्व में सोमवार को मतदान दिवस पर फर्रुखाबाद लोकसभा में वोटों का प्रतिशत पिछली बार की अपेक्षा इस बार कम रहा। जनपद में कुल 59.06 प्रतिशत मतदान हुआ। इसके साथ ही चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला ईवीएम में कैद हो गया। मतदाताओं को घरों से निकालने से लेकर अपने पक्ष में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों ने अंतिम वक्त तक ताकत झोंकी। अब 04 जून को मतगणना के बाद ही अंतिम नतीजा सामने आएगा, लेकिन उससे पहले ही प्रत्याशियों और दलों ने अपनी-अपनी जीत के दावे करना शुरू कर दिया है। इसके लिए आंकड़े भी गिनाए जा रहे हैं।
फर्रुखाबाद लोकसभा सीट पर इस बार 8 प्रत्याशी मैदान में थे। सोमवार सुबह सात बजे शुरू हुए मतदान को लेकर मतदाताओं में गजब का उत्साह नजर आया। सुबह 7 बजे से शाम छह बजे तक चले मतदान में कुल अलीगंज में 61.8 प्रतिशत, अमृतपुर में 57.45 प्रतिशत, भोजपुर में 59.8९ प्रतिशत, फर्रुखाबाद में 53.99 प्रतिशत तथा कायमगंज में 62.०20 प्रतिशत मतदान हुआ। सभी प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला ईवीएम में सुरक्षित हो गया है। यहां समाजवादी पार्टी-इंडिया गठबंधन से डॉ0 नबल किशोर शाक्य को प्रत्याशी बनाया गया है, तो दूसरी तरफ भाजपा ने सांसद मुकेश राजपूत पर ही फिर दांव लगाया है। दोनों प्रत्याशी कांटे के मुकाबले के चलते अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। फिलहाल जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा यह तो ०4 जून को मतगणना के बाद ही सामने आएगा, परंतु राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों ने अपने हिसाब से जीत हार का गुणा भाग शुरू कर दिया है। अपने समर्थक बहुल इलाकों में हुए मतदान, जातीय समीकरणों आदि के आधार पर खुद की जीत के दावे भी शुरू कर दिए गए हैं। हालांकि मतदान के रुझानों के बाद इस लोकसभा सीट पर गठबंधन प्रत्याशी और भाजपा प्रत्याशी के बीच ही सीधा मुकाबला रहने की संभावना जताई जा रही है। बातचीत के दौरान कई मतदाताओं ने बताया कि सांसद को हमने दस साल देख लिया है। दस साल में उन्होंने कोई विकास कार्य नहीं करवाये। कई गांवों में लोग सांसद का नाम सुनना भी पसंद नहीं कर रहे हैं। ऐसे में सपा प्रत्याशी डॉ0 नबल किशोर शाक्य की जीत की उम्मीद काफी ज्यादा है, क्योंकि इस बार लोग परिवर्तन का मना बना चुके हैं।

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