विश्व अस्थमा दिवस पर जनमानस को किया जागरुक

भारत में हर साल 1 लाख 98 हजार लोगों की मौत होती है: डॉ0 ए.के.खान
मेजर एस.डी. सिंह पी0जी0 आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज में हुआ कार्यक्रम
फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। 7 मई को विश्व अस्थमा दिवस का आयोजन मेजर एस.डी. सिंह पी0जी0 आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज द्वारा किया गया।
विश्व अस्थमा दिवस एक वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम है। जो दुनिया भर में अस्थमा के बारे में जागरुकता को बढ़ावा देने के लिए हर साल मई के प्रथम मंगलवार को मनाया जाता है। इस वर्ष थीम अस्थमा शिक्षा सशक्तीकरण है। यह अस्थमा से पीडि़त लोगों को शिक्षित करने की अवश्यकता पर ध्यान देता है। इस कार्यक्रम में वक्ताओं ने बताया कि वायु प्रदूषण, ठंडी हवा, सुगन्ध आदि जैसे अस्थमा ट्रिगर के सम्पर्क में आने से बचें। एलर्जी पैदा करने वाले तत्वों के सम्पर्क से बचें। सिगरेट, मोमबत्तियां, धूप और आतिशबाजी के धुए से बचें, आसपास के वातावरण को धूल मुक्त रखें। इस कार्यक्रम में डॉ0 ए.के.खान ने बताया कि हर दिन लगभग 10 लोग अस्थमा से मरते हैं। अस्थमा से दुनिया भर में बड़ी संख्या में लोग पीडि़त हैं। अस्थमा बचपन से लेकर बुढ़ापे में कभी भी हो सकता है। भारत में हर साल 1 लाख 98 हजार लोगों की मौत होती है। वहीं दुनिया में हर साल 4 लाख 61 हजार लोगों की मौत अस्थमा से होती है।
डॉ0 नीतू ने कहा कि अगर आप सांस की बीमारी से परेशान हैं या आपको खांसी होती है तो आज हम आपको एक ऐसी औषधीय पौधे के बारे में बताते हैं जिसका सेवन करने से आपकी यह समस्या दूर हो सकती है। इसका नाम दमबूती है और इसका इस्तेमाल करने से आपका सांस संबंधी रोग दूर हो सकता है। दमबूती एक औषधीय पौधा है जो बेल के रुप में होता है और इसका काढ़ा बनाकर पीने से या फिर पत्तियों को चबाकर खाने से आपको सांस के रोगों से छुटकारा मिलेगा और बताया कि यूफोरबिया हिरता (यूफोरबिएसी) जिसे अस्थमा खरपतवार के नाम से जाना जाता है यूफोरबिया हिरता एक जड़ी बूटी वाला जंगगी पौधा है जो भारत के गर्भ भागों में आता है। (गाइरिकेसी) गायरिका एस्कुलेंता को आमतौर पर कैफल के नाम से जाना जाता है। इसका उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली में अस्थमा और ब्रोंकाइटिस के इलाज के लिए किया जाता है। कार्यक्रम का संचालन स्वस्थवृत्त एवं योग विभाग के प्रवक्ता डॉ0 अरुन कुमार पाण्डेय ने बताया अस्थमा दिवस पर अस्थमा मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद योगासन भुजंगासन योग अस्थमा को कंट्रोल में रखने के लिए बहुत ही अच्छा आसन है। इसके अलावा सेतु बंधासन अस्थमा के मरीजों के लिए बेहत फायदेमंद है। शलभासन योग, धनुरासन, पवनमुक्तआसन, शवासन, वीरभद्रासन एक आसान योग मुद्रा है जो फेफड़ों के लिए सबसे अच्छा योगासन माना जाता है। जो फेफड़ों में श्वास के रास्ते को साफ करके सांस की समस्या से छुटकारा दिलाने में कारगर है। चाइल्ड पोज यानी बालासन फेफड़ों को स्वस्थ कर सांस की समस्या से बचाने में सहायक है। डॉ0 निरंजन एस ने बताया कि अस्थमा सांस से जुड़ी एक गम्भीर बीमारी है जिसमें सांस की नली में सूजन हो जाती है। सर्दियों का मौसम आते ही बड़ों के साथ-साथ छोटे भी इस बीमारी की चपेट में आने लगते हैं। सांस फूलना, सांस लेने में कठिनाई, खांसी और खांसते समय सीने में दर्द होना अस्थमा के मुख्य लक्षण हैं। इस गम्भीर अस्थमा रोग से बचने के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपायों को अपनाकर अस्थमा के लक्षणों को नियंत्रित कियाजा सकता है। आयुर्वेद में तुलसी के औषधीय गुणों के बारे में विस्तार से बताया गया है। तुलसी में कफ को दूर करने वाले गुण पाये जाते हैं। इसके सेवन से रेस्थिरेटरी ट्रैक में जमा कफ दूर होता है। साथ ही सांस की नली की सूजन भी कम होती है। इस कार्यक्रम में प्राचार्य डॉ0 अंजना दीक्षित, डॉ0 सुनील कुमार गुप्ता, डॉ0 नीतू, डॉ0 रीता सिंह, डॉ0 देवाशीष विस्वाल, डॉ0 शीलू गुप्ता, डॉ0 वी.एस.गुप्ता, डा.शिवओम दीक्षित, डॉ0 पंकज कुमार शुक्ला, डॉ0 संकल्प सिंह, डॉ0 अविधा सिंह, डॉ0 मुकेश विश्वकर्मा, डॉ0 आनन्द बाजपेयी, डॉ0 अरुन कुमार पाण्डेय, डॉ0 विकास बाबू, डॉ0 भारती पान्चाल, डॉ0 अंकिता शर्मा, डॉ0 कीर्ति आदि मौजूद रहे।

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