छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में एक नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म और तीन लोगों की हत्या के आरोपियों को स्पेशल कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है. इस मामले को लेकर चार साल से केस चल रहा था, जिसमें मंगलवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए आरोपियों को मौत की सजा सुनाई गई और एक आरोपी को आजीवन कारावास की सजा भी सुनाई गई.
कोरबा: विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा समुदाय की किशोरी से सामूहिक दुष्कर्म और परिवार के ही 3 सदस्यों की हत्या के मामले में कोरबा के न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. कोर्ट ने इस मामले को रेयरेस्ट ऑफ द रेयर मानते हुए 5 आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई है. घटना में शामिल एक अन्य आरोपी को आजीवन कारावास की सजा दी गई है. इसकी सुनवाई जनवरी 2021 से चल रही थी. न्यायाधीश ममता भोजवानी के फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सोमवार की शाम यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया है.सुनवाई के बाद सजा सुनाने के दौरान न्यायाधीश ममता भोजवानी ने कहा “यह अमानवीय और निर्दयता पूर्वक किया गया कृत्य है. जो वीभत्स और कायरतापूर्ण है. वासना को पूरा करने के लिए निर्दोष और कमजोर व्यक्तियों की हत्या की गई है. जिससे संपूर्ण समाज की सामूहिक चेतना को आघात पहुंचा है. आरोपियों ने एक आदिवासी जनजाति परिवार के 3 सदस्यों की हत्याएं की. जिनमें एक 16 साल की बच्ची से सामूहिक दुष्कर्म शामिल है. इसलिये आजीवन कारावास के सामान्य नियम की अपेक्षाकृत मृत्युदण्ड के अपवाद का चयन करने के अतिरिक्त इस न्यायालय के पास और कोई विकल्प नहीं बचा है.” : विशेष लोक अभियोजक सुनील कुमार मिश्रा ने बताया कि विकासखंड वनांचल क्षेत्र लेमरू में पहाड़ी कोरवा परिवार सतरेंगा में रहने वाले संतराम मंझवार के घर मवेशी चराने का काम करते थे. संतराम ने परिवार को 8 हजार रुपए मासिक और हर माह 10 किलो चावल देने का वादा किया था. लेकिन संतराम ने जानवरों को चराने के बदले महज 600 रुपए दिया और 10 किलो चावल प्रतिमाह के अनुसार दिया. शेष राशि संतराम ने कोरवा परिवार को नहीं दिया. तब कोरवा परिवार 29 जनवरी को संतराम का घर छोड़कर चले गए. परिवार के सदस्य सतरेंगा बस स्टैंड में खड़े थे. इसी बीच संतराम बस स्टैंड पहुंचा और कहा कि वह बाइक से अपने साथियों के साथ उन्हें घर तक पहुंचा देगा. कोरवा परिवार में एक 16 साल की लड़की थी और दूसरी 4 साल की बच्ची थी. जो मृतक की नाती थी. आरोपी ने मृतक, 16 साल की नाबालिग बेटी और 4 साल की बच्ची को अपनी मोटर साइकिल में बैठाया और अपने साथ ले गया. जबकि मामले में प्रार्थिया और उसका बेटे को एक अन्य मोटरसाइकिल से रवाना किया गया. परिवार के तीन सदस्यों को लेकर कुछ दूर तक जाने की बाद संतराम ने गढ़उपरोड़ा के जंगल में तीनों को उतार दिया. यहां अपने पांच अन्य साथियों के साथ मिलकर सुनियोजित तरीके से तीनों की पत्थर से कुचलकर हत्या कर दी. हत्या से पहले आरोपियों ने 16 वर्षीय नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया और उसे पत्थर से कुचलकर मरा हुआ समझकर छोड़कर भाग गए. बाद में इस मामले में पुलिस ने सभी 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया था. कोर्ट ने इस मामले में 5 लोगों को मृत्युदंड की सजा दी है. इसमें संतराम मंझवार(45 वर्ष), अनिल कुमार सारथी(20 वर्ष), परदेशी दास(35 वर्ष), आनंद दास(26 वर्ष) और अब्दुल जब्बार उर्फ विक्की मेमन(21 वर्ष) शामिल हैं. सभी विकासखंड कोरबा अंतर्गत सतरेंगा थाना लेमरू क्षेत्र के रहने वाले हैं. इसके अलावा कोर्ट ने उमाशंकर यादव(22 वर्ष) को आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया है.
तीन लोगों की हत्या
लेमरू क्षेत्र के गढ़-उपरोड़ा में हैवानियत की हदों को पार किया गया था. पांच लोगों ने पहले एक नाबालिग बच्ची के साथ दुष्कर्म किया. इसके बाद पिता-बेटी और 4 साल की नातिन की हत्या कर दी थी. सभी के शव जंगल से बरामद हुए थे. उस समय किशोरी जिंदा थी, जिसे पत्थर रखकर दबा दिया गया था. अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही उसकी मौत हो गई थी. पिता-बेटी और चार साल की बच्ची सभी को लाठी-डंडों और पत्थर से कुचलकर मारा गया था.