पांच कर्म करने वाला मनुष्य देवत्व को प्राप्त करता है: आचार्य चन्द्रदेव

फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। आर्य प्रतिनिधि सभा के तत्वावधान में मेला श्रीरामनगरिया में चल रहे वैदिक क्षेत्र में चरित्र निर्माण शिविर में प्रात:काल यज्ञ किया गया। आचार्य चन्द्रदेव शास्त्री ने बताया कि पांच कर्म करने वाला मनुष्य देवत्व को प्राप्त करता है।
ओम् का ध्यान, वेदों का ज्ञान, यज्ञ का अनुष्ठान, सुसंस्कारी संतान और राष्ट्रहित बलिदान। ये पाँच कर्म केवल मनुष्य ही करता है, इसीलिए मनुष्य संसार का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है। मनुष्य का प्रथम कर्तव्यकर्म ईश्वर की भक्ति है क्योंकि ईश्वर की भक्ति से ही शक्ति प्राप्त होती है। हमारे शरीर के प्रत्येक अवयव में ईश्वर की शक्ति विद्यमान है। आंखों में देखने की शक्ति, कानों में श्रवण करने की शक्ति आदि इन्द्रियां ईश्वर की शक्ति से ही कार्य करती हैं। इसलिए मनुष्य का कर्तव्य है कि वो मन की पवित्रता और बुद्धि की शुद्धि से ईश्वर का साक्षात्कार करे। पण्डित धनीराम बेधडक़ ने बताया कि यज्ञ संसार का सर्वोत्तम कर्म है, जिसे करके मनुष्य मनोवांछित फल की प्राप्ति कर सकता है। यज्ञ रूपी कल्पवृक्ष के पास बैठने से हर शुभ मनोकामना पूर्ण होती है। कु0 उदिता आर्या ने कहा कि करो हवन से प्यार अमृत बरसेगा। पण्डित शिवनारायण आर्य, पण्डित राजेश आर्य आदि ने मधुर भजनों की प्रस्तुति दी। संचालन स्वामी महेन्द्रानंद ने किया। सभा में उत्कर्ष आर्य, उदयराज आर्य, हरिओम शास्त्री, शिशुपाल आर्य, रत्नेश द्विवेदी, रेनू आर्या, ऋतु आर्या, उपासना कटियार आदि उपस्थित रहे।

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