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नवजात शिशुओं में गंभीर बीमारियों की समय पर पहचान को लेकर सैफई विवि. में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

सैफई, समृद्धि न्यूज। उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय नवजात शिशु स्क्रीनिंग दिवस के अवसर पर एक दिवसीय जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम ओपीडी परिसर में विश्वविद्यालय के जैव रसायन विभाग के तत्वावधान में बाल रोग विभाग तथा स्त्री रोग एवं प्रसूति विभाग के सहयोग से संपन्न हुआ। कार्यक्रम का उद्देश्य नवजात शिशुओं में जन्मजात वंशानुगत एवं चयापचय संबंधी बीमारियों की प्रारंभिक पहचान के प्रति आमजन को जागरूक करना रहा। मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) पी.के. जैन ने कहा कि नवजात शिशु स्क्रीनिंग (एनबीएस) कार्यक्रम शिशुओं के भविष्य को सुरक्षित बनाने की दिशा में एक सशक्त कदम है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के 500 बिस्तरों वाले सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में शीघ्र ही एनबीएस सेवाओं को नियमित रूप से शुरू किया जाएगा, जिससे क्षेत्र के हजारों नवजातों को गंभीर बीमारियों से समय रहते बचाया जा सकेगा। कुलपति ने इस मौके पर उपस्थित चिकित्सकों, छात्र-छात्राओं और मरीजों के परिजनों से संवाद कर नवजात स्क्रीनिंग के महत्व को सरल भाषा में समझाया और अधिक से अधिक लोगों को इससे लाभान्वित होने का आह्वान किया। कार्यक्रम में चिकित्सा अधीक्षक प्रो. (डॉ.) एस.पी. सिंह, बाल रोग विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) आई.के. शर्मा, स्त्री रोग एवं प्रसूति विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) कल्पना, ओपीडी प्रभारी प्रो. (डॉ.) गणेश वर्मा, शिशु रोग विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. शांभवी मिश्रा और डॉ. मुनीबा समेत अनेक वरिष्ठ चिकित्सक और शोधार्थी उपस्थित रहे।
इस अवसर पर जैव रसायन विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. सृष्टि धर प्रसाद ने एनबीएस कार्यक्रम की प्रक्रिया और उपयोगिता के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि थायरॉइड विकार, गैलैक्टोसीमिया, फिनाइलकीटोन्यूरिया जैसी बीमारियों की समय पर पहचान कर इनका प्रभावी उपचार किया जा सकता है, जिससे बच्चों का मानसिक व शारीरिक विकास सुरक्षित रहता है। बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ. आई.के. शर्मा ने कहा कि एनबीएस एक सरल, सुरक्षित और अत्यंत महत्वपूर्ण जांच है, जिसे जन्म के बाद कुछ घंटों या दिनों में किया जाना चाहिए। डॉ. विवेक आनंद ओझा, डॉ. सृष्टि धर प्रसाद और डॉ. शांभवी मिश्रा ने अस्पताल में भर्ती मरीजों व उनके परिजनों से सीधे संवाद कर उन्हें जांच के लिए प्रेरित किया और इसके लाभों की जानकारी दी।
कार्यक्रम का संचालन जैव रसायन विभाग की वरिष्ठ रेजिडेंट डॉ. निवेदिता द्वारा किया गया, जबकि विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अजय कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। अंत में सहायक प्रोफेसर डॉ. अजमत कमाल अंसारी ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन और जैव रसायन विभाग की संयुक्त पहल से भविष्य में नवजात स्क्रीनिंग को नियमित सेवाओं का हिस्सा बनाया जाएगा, जिससे यह योजना जन-जन तक प्रभावी रूप से पहुंच सकेगी।

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