फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। जिला कृषि अधिकारी बी0के0 सिंह ने किसानों से अपील की है कि किसी फसल का उत्पादन बढ़ाने में फसल सरक्षा का विशेष महत्व है। कोई भी फसल बोने से पूर्व भूमि शोधन व बीज शोधन करना आवश्यक है, तभी फसल अच्छी होगी और हमें उसका वाजिब मूल्य मिल सकेगा।
उन्होंने कहा कि फसलों में कीट/रोग बीज व मृदा द्वारा फैलते हैं। बीज जनित/भूमि जनिक रोगों से बोई जाने वाली फसल को बीज शोधन एवं भूमि शोधन करके बचाया जा सकता है। विगत वर्ष में देखा गया है कि जिन किसान भाइयों द्वारा बुबाई से पहले बीज एवं भूमि का शोधन किया गया है उस फसल में कीट/रोग का प्रयोग कम पाया गया है। बीज शोधन एवं भूमि शोधन कम व्यय पर सुरक्षित फसल ली जा सकती है। खरीफ फसलों में में विशेष रुप से धान की नर्सरी डालने से पूर्व बीज को २ ग्राम कार्वेण्डाजिम या ३ ग्राम थीरम अथवा ४ से ५ ग्राम ट्राइकोडर्मा प्रति किलोग्राम की दर से अच्छी तरह मिलाकर शोधित करके बुबाई करें। धान में जीवाणु झुलसा के बचाव के लिए २५ किलोग्राम बीज को ४ ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लीन के घोल में रात भर भिगोकर छाया में सुखाकर नर्सरी डालें। इसी प्रकार अरहर, मक्का, उर्द, मूंग आदि का बीजशोधन कर लें। खेत की तैयारी के समय भूमि शोधन करनेे के लिए फफूंदीजनित रोगों के बचाव के लिए २५ किलोग्राम ट्राइकोडर्मा हरजेनियम २ प्रतिशत डब्ल्यू0पी0 प्रति हे0 की दर से ७५ किलोग्राम सड़ी गोबर की नम खाद में मिलाकर नमीयुक्त छाया में ७ से ८ दिन ढककर बुबाई/रोपाई से पूर्व खेत की अंतिम जुताई पर शाम के वक्त खेत में मिला दें। इसी प्रकार कीटों के नियंत्रण के लिए 25 किलोग्राम ब्यूवेरियावैसिाना 1.15 प्रतिशत डब्ल्यू0पी0 प्रति हे0के हिसाब से प्रयोग कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए किसान भाई मोबाइल नंबर 9452247111 व 9452257111 पर संपर्क कर सकते हैं।