प्राइवेट विद्यालयों में इन्वर्टर तक की व्यवस्था नहीं, हो रहे बच्चे बीमार
फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। गर्मी की तपिश से सभी बेहाल है। ऐसे में बच्चे भी गर्मी के प्रकोप के कारण परेशान है। शहर के निजी स्कूलों में फीस के नाम पर मोटी रकम वसूली जा रही है, पर बच्चों की सुविधाओं के नाम पर जीरो है। लाइट जाने के बाद प्राइवेट स्कूलों में न ही जनरेटर चलाये जाते है और न ही इन्वर्टर की व्यवस्था न होने के कारण इस उमस पर गर्मी का शिकार स्कूली बच्चे हो रहे है। अपने विद्यालय का झांपा दिखाने वाले निजी विद्यालय के संचालक इस बात पर मौन रखे हुए है। ऐसे में कोई अधिकारी भी निजी स्कूलों का निरीक्षण करने नहीं जा रहा है। कहीं न कहीं अधिकारियों व नेताओं के बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते है। इसलिए प्राइवेट स्कूलों पर कोई भी कार्यवाही करना नहीं चाहता है। जबकि स्कूल में पढऩे वाला बच्चा इस समय जुलाई माह में गर्मी के प्रकोप के कारण हाल बेहाल हो जाते है और बीमारी के कारण डाक्टर भी अच्छे पैसे वसूलते है। बच्चों को डाक्टर के पास दिखाने ले जाने के दौरान २०० से ५०० रुपये पर्चे के पहले ही वसूल कर लिये जाते है। उसके बाद चेकअप के नाम पर हजारों रुपये परिजनों से डाक्टर वूसल लेता है और फिर दवाई लेने के दौरान जेब खाली हो जाती है। पर इन सबका जिम्मेदार निजी स्कूल संचालक है। उनके विद्यालयों का निरीक्षण करने व कमियां होने पर कार्यवाही कौन करेगा। ऐसे में शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारी प्राइवेट स्कूलों में देखने तक नहीं जाते है। जिस कारण बच्चों से मनमानी फीस तो वसूली जाती है और सुविधायें नाम मात्र की ही मिल पाती है। अगर विद्यालय में फीस लेट हो जाये तो उसकी पेनाल्टी के तौर पर ५० से १०० रुपये अलग से वसूल किये जाते है। इस वसूली का संविधान में जिक्र नहीं है। सबूत के तौर पर अभिभावकों के पास पेनाल्टी लिये जाने की रसीद भी उपलब्ध है। शिक्षा व्यस्था रामभरोसे चल रही है और निजी स्कूल संचालकों की बल्ले-बल्ले है। पहले तो एडमीशन के नाम पर अभिभावकों का दोहन होता है। फिर चौगुने दामों में किताबों मिलती है, जबकि सरकार का आदेश है कि एनसीआरटी की किताबे ही पढ़ाई जाये, लेकिन कोई भी प्राइवेट स्कूल संचालक इस आदेश को मानने वाला नहीं है। शिकायतों के बावजूद भी कार्यवाही ठंडे वस्ते में पड़ी रहती है।
गर्मी की तपिश से बच्चे बेहाल, निजी स्कूल संचालक नहीं चलाते जनरेटर
