राजधानी लखनऊ में एडीजे कोर्ट ने एक दंपति को फांसी की सजा सुनाई है. दंपति पर आरोप लगा था कि उन्होंने संपत्ति विवाद में अपने ही माता-पिता, भाई-भाभी और उनके दो बच्चों की हत्या कर दी थी. कोर्ट ने इस मामले में पति-पत्नी को दोषी करार दिया है. इस मामले में आरोपी की सगी बहन ने ही उसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी. सभी गवाहों और सबूत को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने इसे क्रूरतम माना और पति-पत्नी को सजाए मौत सुनाई है. जानकारी के मुताबिक यह पूरा मामला बंथरा थाना क्षेत्र के गुदौली गांव का है. यहां पर अमर सिंह अपने पूरे परिवार के साथ रह रहे थे. अमर सिंह के दो बेटे थे जिनमें से एक अरुण सिंह और दूसरा अजय सिंह हैं. अरुण सिंह और अजय के बीच में लंबे वक्त से प्रॉपर्टी को लेकर विवाद चल रहा था. इसी रंजिश के तहत अजय ने अपनी पत्नी रूपा सिंह के साथ साजिश रची और पूरे परिवार को गंडासे से काटकर और गोलियों भूनकर हत्या कर दी.30 अप्रैल 2020 में अजय ने अपने पिता अमर सिंह, माता राम दुलारी, भाई अरुण सिंह, भाभी राम सखी, भतीजा सौरभ और भतीजी सारिका की हत्या की थी. इस हत्याकांड में उसकी पत्नी रूपा ने उसका साथ दिया था. हत्यांकांड के बाद पूरे गांव में दहशत का माहौल हो गया था. हत्याकांड के दूसरे दिन अजय की सगी बहन गुड्डी ने अपने भाई के खिलाफ पूरे परिवार को मार डालने का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी.बहन ने पुलिस को बताया था कि अजय सिंह ने अपनी पत्नी रूपा सिंह और बेटे-बहू और पोते के साथ मिलकर उसके पिता-माता, भाई-भाभी, और भतीजा-भतीजी को मार डाला है. पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार किया था. करीब 4 साल से इस मामले में सुनवाई चल रही थी. लखनऊ के एडीजे कोर्ट ने इस मामले में आरोपी पति अजय और पत्नी रूपा को दोषी करार दिया है. कोर्ट ने दोनों को फांसी की सजा सुनाई है.
30 दिन के अंदर हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं
कोर्ट ने कहा कि दोषियों को यह सूचना भी दी गई कि यदि वह इस आदेश के खिलाफ अपील करना चाहते हैं तो निर्णय के 30 दिन के अंदर हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं।
कुल आठ गवाह पेश किए
पुलिस ने विवेचना के बाद अजय सिंह और रूपा सिंह के अलावा दंपत्ति के पुत्र के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इस पर अजय सिंह और रूपा की सुनवाई एडीजे कोर्ट में हुई थी। बेटा नाबालिग था, इसलिए उसके मामले को सुनवाई के लिए जुवेनाइल कोर्ट भेज दिया गया था। अभियोजन ने आरोपियों का अपराध साबित करने के लिए कोर्ट में कुल आठ गवाह पेश किए। साथ ही साक्ष्य के तौर पर 31 दस्तावेज पेश किए।