फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। जिला प्रशासन व पुलिस की लाख कोशिशों के बाद भी बाल मजदूरी व बच्चों के शोषण पर रोक नहीं लग पा रही है। छोटे बच्चे सरेआम चाय की दुकानों व ढाबों पर काम करते देखे जा सकते है। जिन मासूम हाथों में कलम होनी चाहिए उन हाथों में या तो झाडू है या फिर वे लोगों की जूठन साफ करने के लिए मजबूर हंै।
पिछले महीने चलाए गए मुस्कान अभियान के तहत सैंकड़ों बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त भी कराया गया था, लेकिन अब भी स्थिति में ज्यादा सुधार नहीं हुआ है। जिले में अब भी काफी संख्या में 14 साल से कम उम्र के बच्चे बाल मजदूरी का शिकार है। जबकि कई जगहों पर बच्चों से भीख मंगवाई जा रही है।
चाय की दुकानों व ढाबों पर काम करते हैं बच्चे
सबसे ज्यादा बाल मजदूरी चाय की दुकानों या ढाबों पर करवाई जा रही है। शहर हो या गांव कस्बे ऐसी जगहों पर बच्चे सबसे ज्यादा बाल मजदूरी का शिकार हो रहे है। ढाबा संचालक या दुकानदार बच्चों से बाल मजदूरी तो करवाते ही है साथ में वेतन के नाम पर भी उनका शोषण किया जाता है। ऐसी जगहों पर बच्चों से डेढ़ से दो हजार रुपये में काम लिया जाता है। अधिकतर मामलों में गरीब के कारण ही माता पिता अपने बच्चों को बाल मजदूरी के लिए भेज रहे है
मंगवाई जाती है भीख
बाल मजदूरी ही नहीं, बल्कि कई जगहों पर तो बच्चों से भीख भी मंगवाई जाती है। बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, बाजार या अन्य सार्वजनिक स्थानों पर छोटे बच्चे भीख मांगते देखे जा सकते हैं। जबकि कई जगहों पर महिलाएं छोटे बच्चों को गोद में लेकर भीख मांगती हैं। गोद में लिया बच्चा दिन भर सोता रहता है। जिस कारण बच्चे को कोई नशीली दवाई देने की सोच से भी इंकार नहीं किया जा सकता, लेकिन अब तक इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।