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हत्या के मामले में तीन सगे भाइयों सहित पांच को आजीवन कारावास

फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। पिता-पुत्र की हत्या कर साक्ष्य मिटाने के मामले में जिला जज एंव सत्र न्यायाधीश नीरज कुमार ने अभियुक्त सूरज, महावीर, राजेश पुत्रगण रूपलाल, लेखराम पुत्र सालिकराम, बहादुर पुत्र रामचंद्र समस्त निवासीगण ग्राम दुदहा थाना शमशाबाद को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया।
विगत 22 वर्ष पूर्व थाना शमशाबाद क्षेत्र के ग्राम दुदहा निवासी रामविलास पुत्र छदामीलाल ने पुलिस को दी तहरीर में दर्शाया था कि दो साल पहले मेरे गांव के रूपलाल पुत्र सालिकराम का शव मेरे गांव के उत्तर दिशा में गंगा की कटरी में मिला था। जिसमें रूपलाल के लडक़े महावीर ने मेरे भाई रूपराम वगैरहा से अंदरूनी रंजिश मानते थे। मेरा भाई रूपराम व उनका लडक़ा रामपाल मक्का के खेत में निराई कर रहे थे। अचानक शाम के समय मेरे गांव के सूरजपाल, महावीर, भंवर पाल, अवधेश, राकेश, लेखराज, बहादुर अपने घरों से रूपराम व रामपाल को गाली-गलौज करते हुए खेतों की ओर गए। सूरजपाल पर उसकी लाइसेंसी इकनाली बंदूक, महावीर पर उसकी दोनाली बंदूक, लेखराज पर देशी रायफल, बहादुर पर देशी बंदूक, भावरपाल पर टकोरा था, इन लोगों ने रूपराम, रामपाल के पास जाकर गाली-गलौज करते हुए अंधाधुंध फायरिंग कर दी। आरोपियों ने रूपराम, रामपाल की हत्या कर दी। पास में ही खड़े अपने आयशर ट्रैक्टर लिफ्ट में पीछे शव को बांधकर गंगा की तरफ ले गए। घटना को मैने व मेरे भतीजे भूरे, पप्पू, अरविंद आदि लोगों ने देखा था। शोर शराबा किया तो आरोपियों धमकी दी अगर पास आए तो तुम्हे भी जान से मार डालेंगे, परन्तु हम लोग हिम्मत करके कुछ दूरी पर रहे। आरोपियों ने मेरे भाई व भतीजे के शव को गंगा के सोते नाला में डाल दिया और अपना टैक्टर गंगा के किनारे खड़ा कर के भगा गए। हम लोगों ने देखा तो दोनों शव तेज बहाव में बह गये। पुलिस ने तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज कर लिया था। विवेचक ने साक्ष्य गवाह के आधार पर न्यायलय में आरोप पत्र दाखिल कर दिया। मुकदमा विचारण के समय भंवर पाल की मृत्यु हो गयी। अवधेश की पत्रावली किशोर न्याय बोर्ड में पृथक हो गई थी। बचाव पक्ष की दलील व शासकीय अधिवक्ता स्वदेश प्रताप सिंह, पंकज कटियार की कुशल पैरवी के आधार पर जिला जज एंव सत्र न्यायाधीश नीरज कुमार ने अभियुक्त सूरजपाल, महावीर, राकेश को आजीवन कारावास व पच्चीस-पच्चीस हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया। लेखराम, बहादुर को आजीवन कारावास व तीस-तीस हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया।

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