गंगा दशहरा आज: मां है, अब भी उतनी ही पावन

समृद्धि न्यूज। आज गंगा दशहरा है, एक पावन पर्व जो देवी गंगा के धरती पर अवतरण की स्मृति में मनाया जाता है। ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को मनाया जाने वाला यह पर्व हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। मान्यता है कि आज के दिन गंगा जल में स्नान, दान-पुण्य और देवी गंगा की आराधना से सभी पापों का नाश होता है और जीवन में शांति व समृद्धि आती है। 5 जून 2025 को गंगा दशहरा का यह पर्व ग्रहों की अनुकूल स्थिति के कारण और भी शुभ फलदायी माना जा रहा है।
आज गंगा दशहरा है। आज के ही दिन सुरसरि गंगा पृथ्वी लोक में अवतरित हुई थी। राजा भागीरथ की तपस्या के बाद गंगा पृथ्वी पर आने को राजी हुईं, लेकिन ब्रह्मा जी के कमंडल से जब वे निकलीं तब उनका वेग इतना अधिक था कि पृथ्वी क्या कोई भी धरातल उसे सहन नहीं कर पाता, इसलिए शिव ने अपनी जटाएं खोलीं और सुरसरि उन्हीं में उलझ कर रह गईं। पृथ्वी पर एक बूंद नहीं, राजा भागीरथ फिर चिंतित हुए। गंगा न आईं तो उनके 60 हजार पुरखों का तर्पण कैसे होगा! भागीरथ ने अब शिव जी की तपस्या की। शिव जी प्रसन्न हुए और गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुईं। गंगा के अवतरण की यह कथा पुराणों में मिलती है, किंतु गंगा की धाराओं को देखा जाए तो लगता है, गंगा का प्रवाह ऐसा ही है। हिमालय की तमाम चोटियों, कन्दराओं से निकल कर इस नदी को गंगा नाम देवप्रयाग में मिलता है।

 

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