फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। 7 मोहर्रम को ठंडी सडक़ शामे गरीबा से होता हुआ घेरश्यामू खां होता हुआ शामे गरीबा पहुंचा। जिसमें अलमे हजरते अब्बास अलमबरदार बरामद हुआ और गहवा अली असगर बरामद किया गया। जिसमें हुसैन के शहदाइयो ने मातम किया।
पैगंबर मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन की कुर्बानी के लिए याद किए जाने वाला महीना मुहर्रम चल रहा है। 17 जुलाई बुधवार को रोज़ ए आशूरा मनाया जाएगा। आशूर का दिन सबसे ग़म (शोक) का दिन है। मुहर्रम की सात तारीख पैंगबर मोहम्मद के नवासे और इमाम हुसैन के बड़े भाई इमाम हसन के बेटे क़ासिम से मंसूब (संबंधित) है। आज के दिन दुनियाभर में मुसलमान खास तौर से शिया समुदाय के लोग कासिम की शहादत का ग़म मनाते हैं। आज के दिन लोग खास तौर पर हरे रंग कपड़े पहनते हैं और अलम निकालते है। इसके अलावा जगह-जगह पानी और शर्बत की सबील भी लगाई जाती है। लंगर (भंडारा) होता है। लोगों को घर पर तबर्रुक (प्रसाद) खाने के लिए घर पर बुलाया जाता है। कासिम इमाम हसन के बेटे थे। जिन्हें भी इराक के करबला में इमाम हुसैन के साथ तीन दिन का भूखा और प्यासा शहीद कर दिया गया था। जब कासिम की शहादत हुई उनकी उम्र महज 14 साल थी। कासिम करबला का ऐसा शहीद है जिसे जिंदगी में ही अरब के घोड़ों से पामाल (कुचल) कर दिया गया। मुहर्रम की सात तारीख यानी आज के दिन मजलिसों (कथाओं) में कासिम की शहादत का जिक्र होता है। साथ ही उनका ताबूत भी उठाया जाता है। मौलाना फरहत अली जैदी, आल इंडिया शिया मुस्लिम सभा के जिला अध्यक्ष सयैद अम्मार अली जैैदी, हुसैनी टाइगर जिलाध्यक्ष मुन्तजिर हुसैन जैैदी, सयैद मसर्रत अली जैैदी, सयैद हुसैन अली जैैदी, परवेज हुसैन, मुन्नबर हुसैन, मुद्दसर काजमी, मोहसिन काजमी, कम्बर आब्दी आदि शामिल हुए।
7 मुहर्रम से बंद कर दिया था पानी
सात मुहर्रम को करबला के मैदान में इमाम हुसैन के खेमों (टेंट) में पानी खत्म हो गया था और छोटे-छोटे बच्चे प्यासे थे, लेकिन यज़ीद की तरफ से उन्हें फुरात (वहां की एक नहर) से पानी नहीं लेने दिया) सात मुहर्रम के बाद से इमाम हुसैन और उनके साथियों को पानी नहीं दिया गया और आशूर के दिन उन्हें तीन दिन का भूखा और प्यासा शहीद कर दिया गया।