फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। ग्राम महलई में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में राजा जनक की पुत्री सीता की विदाई प्रसंग सुन श्रोता भावविभोर हुए। आचार्य रामप्रकाश शास्त्री ने बताया कि जब मोह रहित विदेहराज जनक अपनी पुत्री सीता की विदाई पर फूट-फूटकर रोने लगे। तो हम लोग साधारण से हैं। कथाव्यास ने अपने बच्चों को संस्कारवान बनाने के लिए प्रेरित करते हुए बताया कि हर पिता अपनी बेटियों के लिए क्या क्या नहीं करता है। वह फटे पुराने कपड़े पहनकर अपनी बेटी के विवाह के लिए मेहनत मजदूरी करके धन जुटाता है। बेटी को सुखी देखने के लिए विवाह अच्छे घराने में करने के लिए भरसक प्रयास करता है, लेकिन वही बेटी जब अपने मां बाप का मुंह काला करके चली जाती है वह कभी भी सुखी नहीं रह सकती है, उसे जीवन पर्यन्त पछताना पड़ता है। इसलिए आज के युग में अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा, अच्छे संस्कार देने का प्रयास करें।
आज के युग में बच्चों को अच्छी शिक्षा व अच्छे संस्कार दें: आचार्य रामप्रकाश
