समृद्धि न्यूज। म्यांमार के सागिंग क्षेत्र में ULFA(I) ने दावा किया है कि भारतीय सेना ने उनके शिविरों पर ड्रोन हमले किए हैं, जिसमें एक वरिष्ठ नेता की मौत और लगभग 19 लोग घायल हुए हैं। हालांकि, भारतीय सेना ने इस दावे का खंडन किया है। ULFA(I) का गठन 1979 में हुआ था और यह असम में स्वायत्तता की मांग करता है।
भारतीय सेना ने हाल ही में पूर्वोत्तर उग्रवाद के खिलाफ एक साहसिक और सटीक ऑपरेशन को अंजाम देते हुए म्यांमार के सागाइंग क्षेत्र में प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम इंडिपेंडेंट (उल्फा-आई) और नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (एनएससीएन-के) के कई शिविरों पर एक समन्वित ड्रोन हमला किया है। रविवार, 13 जुलाई की सुबह हुए इस हमले को हाल के वर्षों के सबसे रणनीतिक और सटीक सीमा-पार अभियानों में गिना जा रहा है। शुरुआती रिपोर्टों के अनुसार,ए करीब 100 ड्रोनों ने म्यांमार के भीतर स्थित उल्फा-आई के चार प्रमुख शिविरों को निशाना बनाया।
उल्फा-आई ने एक बयान में कहा कि कई मोबाइल शिविरों पर तडक़े ड्रोन से हमले किए गए हैं। इस संगठन का दावा है कि इन हमलों में प्रतिबंधित संगठन का एक वरिष्ठ नेता मारा गया, जबकि लगभग 19 अन्य घायल हो गए। उल्फा के इस दावे पर लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत ने कहा, भारतीय सेना के पास इस तरह के किसी ऑपरेशन की कोई जानकारी नहीं है। सूत्रों की मानें तो उल्फा-आई के अलावा, इस ड्रोन हमले में एनएससीएन-के के ठिकानों को भी निशाना बनाया गया है। संगठन के एक शीर्ष नेता और लेफ्टिनेंट जनरल नयन असोम के मारे जाने की अपुष्ट खबरें सामने आई हैं। वह संगठन के सैन्य रणनीतिकार माने जाते थे और पूर्वी कमान की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। ऐसा माना जा रहा है कि होयत बस्ती स्थित ईस्टर्न कमांड हेडक्वार्टर पर हुए हमले में उनकी मौत हुई है, इस संगठन के भी कई कार्यकर्ता हताहत हुए हैं, हालांकि सेना का अब तक आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।
म्यांमार में भारतीय सेना का बड़ा ड्रोन हमला, उल्फा-आई के ठिकाने तबाह
