इतिहास के झरोखों से… महाभारत व रामायण की यादों को संजाए है कम्पिल नगरी

फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। जनपद फर्रुखाबाद को दूसरी अपराकाशी के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर ऐसी कई ऐतिहासित धरोहरें हैं जो महाभारत व रामायण की यादें ताजा करती हैं। इनमें से एक है कम्पिल नगरी।
जनपद से करीब 45  किलोमीटर दूर ऐतिहासिक नगरी कम्पिल स्थित है। जिसका प्राचीन नाम काम्पिल्य था। यह नगरी अपने आप में कई इतिहास समेटे है। कंपिल नगर की स्थापना राजा औपुर ने कपिल ऋषि के आश्रम के रूप में की थी। शांख्य दर्शन के प्रणेता कपिल ऋषि का पुराना आश्रम संकिसा में था जो उन्होंने इक्ष्वाकु वंशी राजा सुजात के पुत्रों के लिए छोड़ा था। यहां पर प्राचीन रामेश्वर नाथ मंदिर व गीता ज्ञान आश्रम स्थित है। यह स्थान ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इसका उल्लेख रामायण, महाभारत में भी मिलता है। महाभारत में इसका उल्लेख द्रौपदी के स्वयंवर के समय किया गया है कि राजा द्रुपद ने द्रौपदी स्वयंवर यहाँ आयोजित किया था। यह स्थान हिन्दू व जैन दोनों ही के लिए पवित्र है। कम्पिल जैन धर्म का प्रसिद्ध पवित्र तीर्थ स्थल है। जैन धर्मग्रन्थों के अनुसार प्रथम तीर्थकर श्री ऋषभदेव ने इस नगर को बसाया तथा अपना पहला उपदेश दिया। इसे तेरहवें तीर्थंकर विमलनाथ जी का जन्मस्थल भी बताया गया है। तेरहवें तीर्थकर विमलदेव ने अपना सम्पूर्ण जीवन यहीं पर व्यतीत किया। कम्पिल पर अनेक प्रसिद्ध राजाओं ने शासन किया। महाभारत की द्रोपदी के पिता राजा द्रुपद ने यहाँ पर शासन किया। काम्पिल्य नरेश धर्मरुचि बहुत ही पवित्रात्मा माना गया है। रामायण में इसे इन्द्रपुरी अमरावती की भाँति भव्य और सुन्दर कहा गया है। कुछ विद्वानों की मान्यता है कि प्रसिद्ध ज्योतिषी वाराहमिहिर इसी नगर में जन्मे थे। कम्पिल में अनेक वैभवशाली मंदिर हैं। वर्तमान कम्पिल में दो प्रसिद्ध जैन मन्दिर है। यहां रामेश्वरनाथ शिवलिंग है। जिनकी स्थापना शत्रुघ्न के द्वारा स्थापित की गई थी।

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