हाईकोर्ट का फैसला: सरकारी मदरसे होंगे बंद

हाईकोर्ट ने कानून को कानून को धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ बताते हुए आदेश दिया है कि सरकार मदरसे में पढ़ने वाले छात्रों को बुनियादी शिक्षा व्यवस्था में समायोजित करे।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने शुक्रवार को यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को असांविधानिक करार दिया। कहा कि यह एक्ट धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करने वाला यानी कि इसके खिलाफ है। जबकि धर्मनिरपेक्षता संविधान के मूल ढांचे का अंग है। कोर्ट ने राज्य सरकार से मदरसे में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को बुनियादी शिक्षा व्यवस्था में तत्काल समायोजित करने का निर्देश दिया है। साथ ही सरकार को यह भी सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि छह से 14 साल तक के बच्चे मान्यता प्राप्त संस्थानों में दाखिले से न छूटें। जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने याची अंशुमान सिंह राठौर व पांच अन्य की याचिकाओं यह अहम फैसला दिया है।  याची की ओर से कहा गया कि इस कानून को बेहद गलत तरीके से बनाया गया। इसमें धर्मनिरपेक्षता और शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन किया गया। कहा कि इस देश में सभी बच्चों को बुनियादी शिक्षा देने का कानून है, जबकि मदरसों में इसे दीनी तालीम तक सीमित कर दिया गया है। कहा कि सरकार अगर किसी शैक्षिक संस्था को अनुदान दे रही है तो उसे बच्चों से फीस नहीं लेनी चाहिए। लेकिन, मदरसों ने इसका भी उल्लंघन किया है। कहा कि इस कानून को इतना ताकतवर बनाया गया कि केवल स्कूली शिक्षा ही नहीं बल्कि कॉलेज तक को नियंत्रित करने की शक्तियां इसमें निहित कर दी गईं। मदरसा बोर्ड की ओर से याचिका का विरोध किया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *