पत्नी की हत्या में पति पर दोष सिद्ध

सजा पर सुनवाई के लिए ३ अप्रैल की तिथि नियत
अवैध सम्बन्धों के चलते की थी पत्नी की हत्या
फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। साक्ष्य एवं गवाहों के आधार पर राकेश कुमार सिंह-प्रथम विशेष न्यायाधीश गैंगेस्टर एक्ट/अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कक्ष संख्या-५ ने पति को पत्नी की हत्या में दोषसिद्ध किया है। सजा पर सुनवाई के लिए 3 अप्रैल की तिथि नियत की गयी है।
घटनाक्रम के अनुसार अनिल कुमार सगर पुत्र श्रीराम निवासी ग्राम ककिउली थाना नवाबगंज दिनांक 08.09.2013 को अपने मूल निवास ककिउली से अपने हाल निवास नवाबगंज थाना नवाबगंज के लिए अपनी पत्नी ममता रानी उम्र ४२ वर्ष के साथ मोटर साइकिल बजाज यू.पी.७६एफ५८८६ से आ रहा था। वीरपुर से नवाबगंज के मध्य नगला झब्बू सिंह के निकट लगभग ७:१५ बजे सायं मोटर साइकिल किनारे खड़ी करके पेशाब करने लगा। पत्नी साइड में फुटपाथ पर खड़ी थी। उसी समय वीरपुर से नवाबगंज की तरफ तेज रफ्तार से आ रही दूध से लदी पिकअप के चालक तेजी एवं लापरवाही ममता के जोरदार टक्कर मार दी तथा नवाबगंज की ओर तेज गति से चली गयी। पत्नी बेहोश होकर वहीं गिर गयी। अंधेरे एवं गाड़ी की तेज गति के कारण गाड़ी का नंबर अभियुक्त नहीं ले पाया। अभियुक्त द्वारा १०८ नंबर पर एंबूलेंस को सूचना दी। मौके पर पहुंची एंबूलेंस ने महिला को सीएचसी नवाबगंज लायी। जहां पर उन्हें मौजूद डाक्टर ने मृत घोषित कर दिया। साक्ष्यों का सम्यक परिशीलन करने पर पाया गया कि घटना का कोई प्रत्यक्षदर्शी साक्षी नहीं है। घटना पूरी तरह से परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित है। घटना के सम्बन्ध में पत्रावली पर उपलब्ध अभियोजन साक्ष्यों एवं बचाव साक्ष्यों का सम्यक विवेचन करने पर यह पाया गया कि अभियोजन के द्वारा परिस्थितिजन्य साक्ष्य की जो चैन बनायी गयी है उस चैन की प्रत्येक कडिय़ां एक दूसरे से जुडक़र यही साबित करती हैं कि मृतका ममता रानी की मृत्यु वाहन दुर्घटना से नहीं हुई थी। उसे अभियुक्त अनिल सगर के द्वारा दुर्घटना का स्वरुप दिया गया, बल्कि ममता रानी की हत्या अनिल सगर के द्वारा आपसी षडयंत्र के तहत सुनियोजित तरीके से स्वसन तंत्र अवरुद्ध करके कारित की गयी है। ममता रानी अनिल सगर की विवाहिता पत्नी थी। अनिल सगर व ममता सागर एक ही विद्यालय में शिक्षक थे। वर्ष २००९ में ममता सागर ने जूनियर हाईस्कूल विद्यालय में सहायक अध्यापक के रुप में ज्वाइन किया था। उस समय ममता सागर अविवाहित थी। वर्ष २०१० में उसकी शादी सतीशचंद्र के साथ हुई थी। इसी दौरान ममता सागर व अनिल सागर में अवैध सम्बन्ध हो गये। ममता सागर की शादी सतीशचंद्र से होने के बाद वह भी अपनी पत्नी से छुटकारा पाने के लिए उसके विरुद्ध ४-५ मुकदमे दर्ज कराये, जो अभी विचाराधीन हैं। अनिल सागर भी अपनी पत्नी ममता रानी से छुटकारा पाकर ममता सागर से शादी करना चाहता था। जिसके चलते उसने यह घटना घटित की। अभियोजन पक्ष परिस्थितिजन्य साक्ष्य के माध्यम से अभियुक्त पर लगाये गये आरोप को युक्तियुक्त संदेह से परे साबित करने में सफल हुआ है। इस प्रकार अनिल सागर पर उपरोक्त दोष सिद्ध होता है। अभियुक्त अनिल सागर को सत्र परीक्षण संख्या-३७४/२०१३ मुकदमा अपराध संख्या-१६९/२०१३ थाना नवाबगंज के मामले में उसके विरुद्ध लगाये गये भारतीय दण्ड संहिता की धारा ३०२, २०१ आई.पी.सी. के आरोप के अंतर्गत दोष सिद्ध किया जाता है। सजा पर सुनवाई के लिए ३ अप्रैल की तिथि नियत की गयी है।

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