जमीनी रंजिश में हत्या करने के मामले में सात अभियुक्तों को आजीवन कारावास

गंगा किनारे की जमीन को लेकर दो पक्षो में जबाबी मुकदमें दर्ज करवाये थे
दोनों पक्षो में लगभग 22 लोगों के विरुद्ध न्यायलाय में आरोप पत्र दाखिल किया गया
दलित पक्ष को साक्ष्य के अभाव से दोष मुक्त किया गया
फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। जमीनी रंजिश में दलित की हत्या करने के मामले में अपर जिला जज विशेष एससी/एसटी न्यायाधीश महेंद्र सिंह ने अभियुक्त संतोष मिश्रा, बबलू मिश्रा पुत्रगण रामगोपाल, नन्हे पुत्र खुशीराम मिश्रा, अजीत पुत्र चन्द्रभान मिश्रा, हरिओम, सुशील पुत्रगण मुकुन्दराम मिश्रा, रामदुलारे पुत्र विशुन दयाल मिश्रा निवासीगण कुसुमापुर थाना राजेपुर को दोषी करार देते आजीवन कारावास से दण्डित किया।विगत 15 वर्ष पूर्व थाना राजेपुर क्षेत्र के ग्राम कुसुमापुर निवासी विपिन कुमार पुत्र बालकिशन ने पुलिस को दी तहरीर में दर्शाया था कि 7 अक्टूबर 2009 को मेरे पिता बालकिशन व चाचा रामकिशन व वीरेश, अरुणेश गंगा के किनारे पड़ी कटरी की जमीन को जोतने की लिए सुबह करीब 8 बजे अपने ट्रैक्टर से गए थे। लगभग 8:30 बजे गांव से 1 किमी दूर जिस खेत को जोतने के लिए पहुंचे तो वहां पर पहले से घात लगाए लगाए बैठे अशोक कुमार, बबलू, संतोष, सुरेंद्र उर्फ दरोगा, नन्हे, रामस्नेही, रामदुलारे, अजीत, रामकिशोर, अवधकिशोर, अमरनाथ जो की मेरे गांव के ही धर्मेंद्र, बनवारी निवासी वली पट्टी अमृतपुर सभी लोग एकरॉय होकर लाठी डंडा व कुल्हाड़ी, बंदूक, लाइसेंसी 12 बोर, रायपाल देशी 315 बोर से लैस होकर मेरे व मेरे चाचा, पिता को भद्दी-भद्दी गाली गलौज करते हुए कहा कि यहां खेत कैसे जोतने आया। मेरे पिता के विरोध करने पर उक्त सभी लोगों ने जान से मारने की नियत से अवैध हथियारों से हमला कर दिया। मेरे चाचा रामकिशन, पिता बालकिशन घयाल हो गए जिसमे और भी लोग घयाल हो गए। फायरिंग की आवाज सुनकर गांव के अन्य लोग आ गए थे। उक्त लोग घटनास्थल से भाग गए थे। पिता बालकिशन की मौत हो गयी थी। पुलिस ने तहरीर के आधार पर भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 323,149, 307, 302 व दलित उत्पीडऩ के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया था। विवेचक तत्कालीन क्षेत्राधिकारी योगेश प्रसाद गौतम ने साक्ष्य गवाह के आधार पर न्यायलाय में आरोप पत्र दाखिल कर दिया। मुकदमा विचरण के समय चन्द्रभान की मृत्यु हो गयी थी। अभियोजन ने कुल 11 साक्षी को प्रस्तुत किया था। बचाव पक्ष की दलील व साशकीय अधिवक्ता अशोक कटियार, अनुजप्रताप सिंह की कुशल पैरवी के आधार पर अपर जिला जज विशेष एससी/एसटी न्यायाधीश महेंद्र सिंह नेे संतोष, बबलू, नन्हे, अजीत, हरिओम, सुशील, रामदुलारे दोषी करार देते हुए आजीवन करावास से दण्डित किया। अजीत को 50 हजार रुपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया। संतोष, बबलू, नन्हे, हरिओम, रामदुलारे, सुशील सभी लोगों को 45 हजार 45 हजार रुपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया। साक्ष्य के अभाव सुरेंद्र, रामस्नेही, रामकिशोर, अवधकिशोर, धर्मेंद्र उर्फ धनीराम, बनवारीलाल को दोष मुक्त कर दिया।

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