दो सगे भाइयों सहित सात लोगों पर दलित की हत्या के मामले में दोष सिद्ध

सजा पर सुनवाई के लिए 21 मार्च की तिथि नियत
जमीनी रंजिश में दोनों पक्षों ने जबाबी मुकदमे दर्ज कराये थे
दलित पक्ष को साक्ष्य के अभाव से किया गया दोषमुक्त
फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। अपर जिला जज विशेष एससी/एसटी न्यायाधीश महेंद्र सिंह ने दलित व्यक्ति की हत्या के मामले में संतोष मिश्रा, बबलू मिश्रा पुत्रगण रामगोपाल, नन्हें पुत्र खुशीराम मिश्रा, अजीत पुत्र चन्द्रभान मिश्रा, हरिओम, सुशील पुत्रगण मुकुन्दराम मिश्रा, रामदुलारे पुत्र विशुन दयाल मिश्रा निवासीगण कुसुमापुर थाना राजेपुर को दोषी करार देते हुए न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेज दिया। सजा के बिंन्दु पर 21 मार्च की तिथि नियत की गयी है।बीते 15 वर्षों पूर्व थाना राजेपुर क्षेत्र के ग्राम कुसुमापुर निवासी बालकिशन ने पुलिस को दी गयी तहरीर में बताया कि 7 अक्टूबर 2009 को मेरे पिता बालकिशन व चाचा रामकिशन व वीरेश, अरुणेश गंगा के किनारे पड़ी कटरी की जमीन को जोतने की लिए सुबह करीब 8 बजे अपने निजी ट्रैक्टर से गए थे। लगभग 8.30 बजे गॉव से 1 किमी दूर जिस खेत को जोतने के लिए पहुंचे, वहां पर पहले से घात लगाए बैठे अशोक कुमार, बबलू, संतोष, सुरेंद्र उर्फ दरोगा, नन्हें, रामस्नेही, रामदुलारे, अजीत, रामकिशोर, अवधकिशोर, अमरनाथ जो कि मेरे गॉव के ही धर्मेंद्र, बनवारी निवासी वली पट्टी अमृतपुर सभी लोग एक रॉय होकर लाठी-डंडा व कुल्हाड़ी, बंदूक लाइसेंसी 12 बोर, रायफल देशी 315 बोर से लैस होकर मेरे व मेरे चाचा, पिता, मां, बहन व जातिसूचक गाली-गलौज करते हुए कहा कि यहाँ खेत कैसे जोतने आया। मेरे पिता के विरोध करने पर उक्त सभी लोगोंं ने हथियारों से हमला कर दिया। जान से मारने की नियत से फायर कर दिया। मेरे चाचा रामकिशन, पिता बालकिशन घायल हो गए। जिसमें और भी लोग घयाल हो गए। फायरिंग की आवाज सुनकर गॉव के अन्य लोग आ गए थे। उक्त लोग घटनास्थल से भाग गए थे। बालकिशन की मृत्यु हो गयी थी। पुलिस ने तहरीर के आधार पर भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 323, 149, 307, 302 व दलित उत्पीडऩ के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया था। विवेचक ने साक्ष्य गवाह के आधार पर न्यायलाय में आरोप पत्र दाखिल कर दिया। मुकदमा विचरण के समय चन्द्रभान की मृत्यु हो गयी थी। बचाव पक्ष की दलील व शासकीय अधिवक्ता अशोक कटियार, अनुजप्रताप सिंह की पैरवी के आधार पर न्यायाधीश महेंद्र सिंह ने संतोष, बबलू, नन्हें, अजीत, हरिओम, सुशील, रामदुलारे को दोष सिद्ध किया। सजा पर सुनवाई के लिए 21 मार्च की तिथि नियत की गयी है। साक्ष्य के अभाव में सुरेंद्र, रामस्नेही, रामकिशोर, अवध किशोर, धर्मेंद्र उर्फ धनीराम, बनवारीलाल को दोष मुक्त कर दिया।

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