अखिलेश की रैली से गड़बड़ाये विपक्षी पार्टी प्रत्याशियों के चुनावी समीकरण

भीड़ ने साबित किया जिस ओर जवानी चलती है, उस ओर जमाना चलता है
आम जनमानस में चर्चा इस बार साइकिल पकड़ेगी रफ्तार, सारे गणित फेल होंगे
फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। बीते दिन सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की रैली में जुटने वाली युवाओं की भीड़ को देखकर इस बार चुनावी समीकरण गड़बड़ा सकते हैं। कहावत है कि जिस ओर जवानी चलती है, उस ओर जमाना चलता है। इस रैली ने सत्तासीन पार्टी प्रत्याशी के दिल की धडक़न बढ़ा दी है। वहीं आम चर्चाओं ने भी इस बार साइकिल की रफ्तार बढऩे का दावा किया है।
पिछले करीब दस वर्षों से सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी से लोगों का कई मुद्दों को लेकर मोहभंग हो गया है। शायद इसीलिए जनता इस बार परिवर्तन चाहती है। जिसका जीताजागता उदाहरण बीते दिन होने वाली सपा सुप्रीमों की रैली ने शायद सिद्ध कर दिया है। अखिलेश की रैली में जुटी युवाओं की अपार भीड़ ने राजनीति में भूचाल सा ला दिया है। सत्तासीन पार्टी से जुड़े कुछ लोगों का कहना है कि प्रत्याशी की तबियत बिगड़ गयी है। चुनाव प्रचार में जाना उनकी मजबूरी बन गयी है, क्योंकि जब दूल्हा ही नहीं होगा, तो बारात कैसे जायेगी। इस बार के चुनावी महासंग्राम में सारे समीकरण ध्वस्त हो सकते हैं। सत्तासीन पार्टी भले ही सत्ता की दम पर चुनाव जीतने का दम्भ भर रही हो, लेकिन अंदरखाने से सभी के दिलों की धडक़नें तेज हो गयी हैं। सभी यह गणित लगा रहे हैं कि चुनाव कैसे जीता जाये। वहीं सत्तासीन पार्टियों की हुईं जनसभाओं में बाहर तथा आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों को बुलाकर भीड़ बढ़ाने का काम किया गया। इसके अलावा डिप्टी सीएम की हुई जनसभा में अधिकांश कुर्सियां खाली रहीं। जबकि सीएम की सभा में स्थानीय कम, बाहर की भीड़ अधिक थी। मतदाताओं की भीड़ इस बार सत्ता परिवर्तन की ओर साफ इशारा कर रही है। फिलहाल इसका फैसला तो १३ मई को चुनाव के बाद ही होगा।

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