कानपुर: हत्या के मामले में न्यायाधीश ने दिवंगत जज की पत्नी व उनके दो बेटों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही प्रत्येक पर ढाई-ढाई लाख रुपये अर्थदंड भी लगाया है। साल 2007 में जमीनी विवाद में धारदार हथियार से दिवंगत जज के भतीजे की हत्या की थी।
बेहटा बुजुर्ग गांव के रहने वाले वीरेंद्र सिंह उर्फ रज्जन गन्ना विभाग में सीतापुर में लिपिक थे। उनके चाचा शिवबरन सिंह जज थे और आपस में जमीनी विवाद चल रहा था। 29 अप्रैल वर्ष 2007 में वीरेंद्र से जमीन से निकासी को लेकर विवाद हो गया था। विवाद के बाद शिवबरन के परिवारीजनों ने धारदार हथियार से मारकर हत्या कर दी थी। वीरेंद्र को बचाने में उनका सेना में तैनात बेटा नवनीत घायल हो गया था। हत्या का मुकदमा जज रहे शिवबरन, उनकी पत्नी नीलम देवी, बेटे जयवर्धन, यशोवर्धन व बहू शीलू पर दर्ज हुआ था।
इस मामले में एडीजीसी विवेक त्रिपाठी ने बताया कि कानपुर नगर में ई-ब्लॉक किदवई नगर में रहने वाले सेवानिवृत्त जज शिवबरन सिंह का अपने गांव घाटमपुर क्षेत्र के बेहटा बुजुर्ग में रहने वाले पारिवारिक भतीजे वीरेंद्र सिंह से मकान के निकास को लेकर विवाद चल रहा था। 29 अप्रैल 2007 को शिवबरन सिंह अपने परिवार के साथ शाम को गांव पहुंचे और यहां आने के बाद वीरेंद्र सिंह को गाली-गलौज करते हुए फरसा, कुल्हाड़ी, तमंचा व लाठियों से उसपर हमला कर दिया। शोर सुनकर बचाने दौड़े वीरेंद्र सिंह के सैनिक पुत्र नवनीत सिंह पर भी जानलेवा हमला किया गया। वह छुट्टी पर घर आया था। घटना में वीरेंद्र सिंह की मौत हो गई थी जब की नवनीत गंभीर रूप से घायल हो गया था। मामले में वीरेंद्र सिंह के पुत्र विशाल सिंह ने शिवबरन सिंह व उसके बेटे यशोवर्धन व जयवर्धन, पत्नी नीलम व बहू शीलू के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने मामले की विवेचना करते हुए सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र अदालत में पेश किए थे। मामले की सुनवाई के दौरान शिवबरन सिंह की मौत हो गयी थी। बचाव पक्ष व शासकीय अधिवक्ता की कुशल पैरवी के आधार पर न्यायाधीश ने अभियुक्त नीलम देवी, यशोवर्धन व जयवर्धन को हत्या के अपराध में आजीवन कठोर कारावास व दो-दो लाख रुपये का अर्थदंड व हत्या के प्रयास में प्रत्येक को 10-10 साल का कठोर कारावास व 50-50 हजार रुपये अर्थदंड लगाया है। वहीं इसी मामले में आरोपी शीलू को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया गया था।
हत्या के मामले में सेवानिवृत्त जज की पत्नी व दो बेटों को आजीवन कारावास
